Ram Navami 2020 : भगवान श्रीराम के जन्म की कथा, राशि अनुसार लगाएं भोग होगा फलदायी
Ram Navami 2020 : चैत्र मास की शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को महारानी कौशल्या की कोख से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जन्म हुआ था। यह जन्म सतयुग में राजा दशरथ के पुत्रेष्ठ यज्ञ के बाद हुआ था। तबसे यह राम नवमी के रूप में मनाई जाती है। राम नवमी के दिन राम चंद्र जी का और रामायण की पूजा, रामायण की आरती व भोग लगाएं। फिर सब प्रसाद लेकर राम नवमी के दिन क्षेत्र परंपरा के अनुसार वसना करें।
नवमी पर श्रीराम दरबार को पूजेंराम नवमी को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के घर में मनाया जाएगा। सच्चे मन से भगवान राम की पूजा कर अपना दांपत्य जीवन सुखमय बना सकते हैं व महामारी को खत्म कर सकते हैं। इसके लिए राम नवमी के दिन श्रीराम दरबार के विग्रह का पूजन करके देवताओं को भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।श्रीराम को राशि अनुसार लगाएं भोग
- मेष राशि के लोग लड्डुओं व अनार का भोग लगाएं- वृष राशि के लोग रसगुल्लों का भोग लगाएं।- मिथुन राशि के लोग काजू की बर्फी का भोग लगाएं।- कर्क राशि के लोग मेवे, बर्फी व नारियल का भोग लगाएं।- सिंह राशि के लोग बेल के फल व नारियल का भोग लगाएं।- कन्या राशि के लोग तुलसी व अन्य हरे फलों का भोग गाएं।
- तुला राशि के लोग सेब, कलाकंद का भोग लगाएं।- वृश्चिक राशि के लोग गुड़ रेवड़ी और गाजर का हलवे का भोग लगाएं।- धनु राशि के लोग बेसन की बर्फी व संतरे का भोग लगाएं।- मकर राशि के लोग गुलाब जामुन व काले अंगूर का भोग लगाएं।- कुंभ राशि के लोग चाॅकलेट की बर्फी, चीकू व अनार का भोग लगाएं।- मीन राशि के लोग जलेबी व केले का भोग लगाएं।भगवान श्रीराम व पवनपुत्र हनुमान के जन्म की कथाइसके साथ ही सभी राशि के लोग भयानक महामारी से बचने के लिए गुप्त दान भी कर सकते हैं। भगवान राम के मंदिर के गुंबद व उसकी ध्वजा का दर्शन करने मात्र से पुण्य प्राप्त होता है। सतयुग में बहुत समय तक संतान न होने के कारण महाराज दशरथ ने तीनो रानियों के लिए यज्ञ किया और उस यज्ञ के बाद चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी को कौशल्या के गर्भ से दोपहर के समय भगवान श्रीराम ने जन्म लिया। तत्पश्चात क्रमश: अन्य भाईयों ने जन्म लिया। यज्ञ से मिले हुए प्रसाद के दशरथ ने दो भाग कर दिए। उसमें से आधा भाग एक पंक्षी लेकर के उड़ गया और माता अंजनी के पास ले जा कर छोड़ दिया। अंजनी को उस वक्त भूख लगी और उस प्रसाद को अंजनी ने खा लिया। तब हनुमान का जन्म हुआ था जो भगवान श्रीराम से पांच दिन छोटे थे। इस तरह भगवान श्रीराम व हनुमान के बीच भाई- भाई का रिश्ता है।
- ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय