Happy Raksha Bandhan 2019: स्वतंत्रता दिवस पर ध्वज योग में मनायें राष्ट्रीय एकता का त्योहार रक्षाबंधन
राखी बांधने का विशेष मुहूर्तप्रातः 5.54 से प्रातः 7.31 तक शुभ के चौघड़िया में।अपराह्न: 12.24 से 2.02 तक लाभ, अमृत के चौघड़िया में।रक्षाबंधन अनुष्ठान मुहूर्त: प्रातः 5.54 से सांय 5.59 तक।रक्षा बंधन की कथाभविष्यपुराण के अनुसार देवता एवं दानवों के बीच युद्द में दानवों का पलड़ा भारी होने से भगवान इंद्र घबराकर देवताओं के गुरु बृस्पतिदेव के पास गए,वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी अपने पति का वृतान्त सुन रहीं थीं, तो उन्होंने रेशम का धागा अपने मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके विजय की कामना करते हुए अपने पति के हाथ पर बांध दिया वह श्रावण पूर्णिमा का ही दिन था। इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए, तब से ही श्रावण पूर्णिमा के दिन यह परंपरा चली आ रही है। स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद भागवत पुराण के अनुसार वामन अवतार नामक कथा में भी ऐसा ही प्रसंग मिलता है।
को होगी। शिव आराधना की द्रष्टि से भी श्रवण युक्त पूर्णिमा सर्व श्रेष्ठ मानी जाती है। रक्षा सूत्र का सम्बंध भी श्रवण नक्षत्र से होता है क्योंकि सरसों,केसर,चंदन,अक्षत,दूर्वा,सुवर्ण आदि को एक पोटली में बांधकर उस वस्त्र को सूत्र में बांधकर पुरुष के दाहिने हाथ की कलाई में तथा स्त्री के वाम हाथ की कलाई में बांधने पर रक्षाबंधन हो जाता है।
इस व्रत में प्रातः सविधि स्नान करके देवता,पितर तथा ऋषियों का तर्पण करें,दोपहर के समय ऊनी, सूती या रेशमी पीत वस्त्र लेकर उसमें सरसों केसर,चंदन,अक्षत तथा दूर्वा रखकर बांध लें फिर साफ करे हुए स्थान पर कलश स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र रखकर उसका यथाविधि पूजन करें ,उसके ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधबाना चाहिये।इस दिन बहने स्नान कर अपने घर में दीवारों पर सोना का तुस रखतीं हैं फिर चावल दूध रखकर मिठाई से इसकी पूजा करती हैं, सोना के ऊपर खीर या मिठाई की सहायता से राखी के धागे चिपकाए जाते हैं,सामान्य परम्परा के अनुसार रक्षा बंधन के दिन बहन भाई को तिलक लगाकर हांथ में नारियल ,रुमाल आदि रखकर ,राखी बांधकर ,मिष्ठान खिलाकर मुँह मीठा करती हैं।रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र:-येन बद्दो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलःतेन त्वमनुबंधनामी रक्षे मा चलमाचल।-ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्माHappy Raksha Bandhan 2019: भगवान विष्णु ने राजा बलि की कलाई में बांधा था धागा, पढ़ें पूजा विधि, कथा, इतिहास व महत्व