क्या राहुल गांधी भी दीदी व मां की तरह लाैटेंगे लोकसभा, जानें क्यों इंदिरा गांधी व सोनिया की रद हुई थी सदस्यता
कानपुर (कानपुर इंटरनेट डेस्क)। आगामी लोकसभा चुनाव से एक साल पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शुक्रवार को एक बड़ा झटका लगा है। सूरत सत्र न्यायालय द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया है। राहुल गांधी केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद थे। सूरत की अदालत ने गुरुवार को 52 वर्षीय राहुल गांधी को 2019 की उनकी "सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों है" टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराया था। अदालत, जिसने राहुल गांधी को 2 साल की जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में उन्हें जमानत भी दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मिल सके। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब गांधी परिवार के किसी सदस्य ने अपनी सदस्यता खोई है। राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी और उनकी दादी इंदिरा गांधी ने भी अपनी लोकसभा सदस्यता खो दी थी।
इंदिरा गांधी
आपातकाल के बाद जब चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को करारी हार मिली। 1978 में इंदिरा गांधी कर्नाटक के चिकमगलूर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। 18 नवंबर को इंदिरा गांधी के लोकसभा पहुंचने पर तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने उनके कार्यकाल के दौरान सरकारी अधिकारियों का अपमान करने और पद के दुरुपयोग के लिए उनके खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पारित किया गया। सात दिन की बहस के बाद, इंदिरा गांधी के खिलाफ एक विशेषाधिकार समिति का गठन किया गया। जांच में इंदिरा के खिलाफ आरोप सही थे उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया और गिरफ्तार कर तिहाड़ भेज दिया गया। हालांकि जनता सरकार 3 साल के भीतर गिर गई। इंदिरा फिर 1980 में दोबारा चुनाव जीतकर पीएम बनी थी।
सोनिया गांधी
2006 में संसद में 'लाभ के पद' का मुद्दा जोर-शोर से उठा था। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। सोनिया गांधी कांग्रेस प्रमुख और रायबरेली से सांसद थीं। इसके साथ ही वह यूपीए सरकार के दौरान गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष भी रहीं, जिसे 'लाभ का पद' कहा जाता था। इस लाभ के मामले के कारण सोनिया गांधी को लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि इसके बाद फिर वह रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीतीं। इस तरह से साफ है कि राजनीतिक उतार-चढ़ाव का सामना करने के बाद इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी दोनों ने जोरदार वापसी की।