अभीष्ट की सिद्धि का दिन पुष्य नक्षत्र दिनाँक 04.07.2019दिनगुरुवार।


गुप्त नवरात्रि एवं पुष्य नक्षत्र के पंच महा सिद्दि योग में करें कार्य सिद्धि...1.----गुरु पुष्य नक्षत्र:-प्रातः 5.28 से अगले दिन प्रातः काल तक।2.-----अमृत सिद्दि योग:-प्रातः 5.28से अगले दिन प्रातः काल तक।3.------सर्वार्थ सिद्धि योग:-प्रातः 5.28से अगले दिन प्रातः काल तक।4.-------अमृत योग :-सांय 7.10 से अगले दिन प्रातः काल तक।5.--------शुभ योग:- सूर्योदय से सांय 7.10 बजे तक।
दिनाँक 04.07.2019,गुरुवार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि अभीष्ट की प्राप्ति का दिन है,क्योंकि इस दिन वर्ष में 2-3 बार पड़ने वाले गुरु पुष्य नक्षत्र के साथ पंच सिद्धि योगों का विशेष संयोग है।इसके अतिरिक्क्त इस बार की विशेष बात यह भी है कि इस दिन आषाढ़ीय गुप्त नवरात्रि का भी विशेष सहयोग है।खास बात यह है कि इस दिन चन्द्र ने भी अपनी कर्क राशि मे प्रातः 6.45बजे प्रवेश कर गुरु के साथ नव-पंचम योग बनाया।अतः इस दिन गुरु पुष्य नक्षत्र में पूजा-पाठ,धर्म-कर्म,जप-तप आदि का कई गुना अधिक विशेष शुभ फल की प्रप्ति होगी।


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समस्त नक्षत्र का सम्राट पुष्य नक्षत्र माना जाता है।यह नक्षत्र गोचरवश चंद्रमा के दोष को भी दूर करने वाला होता है, पुष्य नक्षत्र ग्रह विद्द होने अथवा पाप ग्रह युक्त होने और तारा के प्रतिकूल होने पर भी सम्पूर्ण कार्य की सिद्धि करता है।जब गुरूवार को पुष्य नक्षत्र पड़ जाता है तो पुष्यामृत योग हो जाता है।इस पुष्य नक्षत्र के स्वामी देव गुरु  बृहस्पति हैं अतः इनका विशेष फल प्राप्त होता है।इस दिन यंत्र स्थापित करना,यंत्र-मंत्र सिद्ध करना विशेष लाभप्रद होता है।विजय श्री प्राप्त करने के लिए विजय सूक्त का पाठ करना भी अति श्रेष्ठ रहता है।जिन व्यक्तियों को राज्य सरकार से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हो, उनको "आक" के पौधे का रोपण कर सूर्य से सम्बंधित मंत्रों का जाप आदि का पाठ करना विशेष लाभदायक रहेगा।ग्रह दोष निवारण के लिए यह नक्षत्र अति महत्वपूर्ण माना जाता है, परंतु इस योग में विवाह आदि करना उचित नहीं होता।इति श्री।ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा,बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।

Posted By: Vandana Sharma