दिमाग़ पर कैसे छा जाता है लाल रंग
महारानी के ताज के लांल रंग से लेकर एम्सटर्डम के रेड लाइट एरिया तक आज सुर्ख़ रंग के शेड्स को सत्ता, आक्रमण और सेक्स से जोड़कर देखा जाता है.'रंगों के मनोविज्ञान' से पता चला है कि लाल रंग का हमारे मूड, विचारों और काम पर गहरा असर होता है.इससे आपकी फिजियोलॉजी और हार्मोन संतुलन पर और खेल के मैदान में प्रदर्शन भी प्रभावित हो सकता है.आक्रामकताबहुत से स्तनधारी प्राणी कुत्तों की तरह लाल और हरे रंग में फ़र्क़ नहीं कर पाते.जब हमारे पूर्वज जंगल के जीवन में ढल रहे थे तब उनकी आँखों के रेटिना में एक ख़ास सेल विकसित हो रहा था. ये पत्तों के बीच से लाल चमकीले फलों को चुनने में मदद करता था.
मुक्केबाज़ी और ताईक्वांडो में हुए इस शोध में पाया गया कि लाल रंग की पोशाक पहनने वाले ख़िलाड़ियों के जीतने की संभावना पांच प्रतिशत अधिक थी.हिल कहते हैं, "लाल रंग की पोशाक आपको ज़बरदस्त खिलाड़ी नहीं बना देती है लेकिन जब आपका मुक़ाबला बराबरी के प्रतिद्वंदी से हो तो यह जीत और हार के संतुलन को ज़रूर प्रभावित करती है."
लाल रंग की पोशाक वाली महिला वेटरों को अधिक टिप मिलती है.नकारात्मकतामगर लाल रंग की वजह से होने वाली आक्रामकता के नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं.प्रोफ़ेसर एलियट कहते हैं "लाल पके हुए फल का रंग है, ग़ुस्साए चेहरे का रंग है, सेक्स उत्तेजना का रंग है. इसलिए इसे हमेशा हमारे अस्तित्व से जोड़कर देखा जाता रहेगा. हम बस इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि जब हमारे पूर्वजों ने अपने बदन को रंगना शुरू किया था तो क्या सोचा होगा. यही कि लाल जैसा कोई रंग नहीं है."