जोड़ों के दर्द से कैंसर जैसी बीमारी तक, जानें किस ग्रह के कमजोर होने पर होती है काैन सी हेल्थ प्रॉब्लम
डाॅ. अंजू वत्स (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। जीवन में थोड़ी-बहुत परेशानियां हों तो आम बात है, लेकिन अगर लगातार परेशानियां या फिर छोटी समस्याएं बड़ा रूप लेने लगें तो यह सामान्य बात नहीं कही जा सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कई स्वास्थ्य समस्याएं भी आपकी कुंडली में योजनाओं के कमजोर होने की वजह से हो सकती हैं। छोटी लगने वाली ये परेशानियां कई बार इतनी बुरी तरह प्रभावित करती हैं कि आप जीवनभर उससे उबर नहीं पाते। कमजोर ग्रहों की शांति और उपाय द्वारा इन परेशानियों से बचा जा सकता है। इसलिए इसके लक्षण समझकर तुरंत अपनी जन्मपत्री दिखा कर जानें कि कौन सा ग्रह परेशान कर रहा है और इसके लिए क्या उपाय किया जा सकता है।
सूर्य
सूर्य से पूरी पृथ्वी प्रकाशमान होती है, यह जीवन में उजाले और बढ़ते हुए वर्चस्व का प्रतीक है। इसलिए कुंडली में कमजोर सूर्य शिक्षा और करियर को सीधा प्रभावित करता है और व्यक्ति को हर जगह असफलता का सामना करना पड़ता है। वहीं यह आंखों के कई रोग देता है क्योंकि आंखें जीवन में प्रकाश का प्रतीक होती हैं।इसके अलावा भी कमजोर सूर्य कई प्रकार का होता है। स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है। ऐसे व्यक्ति को दिल की बीमारियां, सिर दर्द रोग भी परेशान करते हैं। उसका पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण हो जाता है, विशेषकर अपने पिता से उसके संबंध खराब हो जाते हैं जो कई बार उसके लिए बड़ी परेशानियां करते हैं।
कमजोर चंद्रमा व्यक्ति को मानसिक रोगी बनाता है। ऐसे जातक के माता से संबंध खराब होते हैं मन से बेचैन रहते हैं। किसी कि भी बात आसानी से मान लेते हैं इनको क्रोध अधिक आता है। इसके अलावा गठिया, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, कफ, निमोनिया जैसे ठंड से ठंड से जुड़ी बीमारी उससे होती हैं। ऐसे व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी समस्या से घिरे रहते हैं। ये अक्सर अवसाद के शिकार भी हो जाते हैं जो अंतत: इनकी असफलता का कारण बन जाता है। मंगल
ग्रह यानि कि मंगल को योजनाओं का सेनापति माना जाता है। कमजोर मंगल से अनंत व्यक्ति मति-भ्रम का शिकार होता है। गुस्सा उनकी सबसे बड़ी परेशानी होती है जो अक्सर उन्हें गलत निर्णय लेने के लिए उकसाती है। बवासीर या रक्त से जुड़े रोग इनकी सामान्य जीवनशैली को प्रभावित करते हैं। ऐसे लोग जीवन में आए दिन किसी ना किसी छोटे-मोटी दुर्घटना का शिकार होते रहते हैं। कई बार ये बड़ी दुर्घटना के शिकार भी हो जाते हैं। इसलिए कमजोर मंगल की निशानी दिखे, तो तुरंत इसका ज्योतिषीय उपाय करें।
बुध
ज्योतिष शास्त्र में बुध को योजनाओं का राजकुमार माना गया है। बलवान बुध व्यक्ति को बौद्धिक क्षमता देता है, वहीं बुध के कमजोर होने से व्यक्ति को याद रखने की कमजोर होने की परेशानी होती है। बुध कमजोर होने पर व्यापार में परेशानी झेलनी पड़ती है। ऐसे व्यक्ति तर्क नहीं कर पाते या सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते।इन्हें कान, नाक और गले में दर्द की समस्या के रोग भी परेशान करते हैं।
देवगुरु बृहस्पति यदि कमजोर हो तो व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक परेशानियां देता है। ऐसे लोगों के या परिवार के मुखिया की कुंडली में गुरु कमजोर होने पर पूरे परिवार को धन की कमी का सामना करना पड़ता है। हो सकता है कि उनके पास अच्छी नौकरी या आय के स्रोत हों, लेकिन ये कभी भी धन संचित नहीं कर पाते हैं। इनका कमाया हुआ धन अक्सर बेकार की चीजों में ही खर्च होता है या फिजूलखर्च में। ऐसे लोगों के विवाह में भी बाधाएं आती हैं या विवाह के पश्चात संतान उत्पत्ति में परेशानियां आती हैं या देरी से होती हैं। उन्हें पेट के रोग कब्ज जैसे रोग भी परेशान करते हैं।
शुक्र
शुक्र ग्रह सीधे तौर पर दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है। इसलिए कमजोर शुक्र व्यक्ति का वैवाहिक जीवन बुरी तरह कलह का शिकार होता है। ऐसे लोग नपुंसकता, डायबिटीज और मूत्र संबंधी रोगों के शिकार भी होते हैं। शुक्र भौतिक सुख-सुविधाओं का भी कारक माना जाता है, इसलिए कमजोर शुक्र की दशा में व्यक्ति कभी भी जीवन भर नहीं जी पाता है।
शनि देव न्याय के देवता व्यक्ति के बुरे कर्मों का ही दंड देते हैं। इसलिए बुरे कार्यों के साथ शनि कमजोर हो सकता है और कमजोर शनि जीवन में कई बड़ी परेशानियां लाता है ।शनि के कमजोर होने पर रोजगार कि बहुत समस्या रहती है नौकरी में परेशानी हो सकती है पेट में गैस, लकवा, कैंसर, मिर्गी, पैर या हड्डी की परेशानियां ऐसे लोगों को विशेषकर परेशान करती हैं जिनके ठीक होने के बाद भी व्यक्ति किसी ना किसी रूप में इससे प्रभावित रहता है।
राहु
कुंडली में इसकी अशुभ राहु होने पर यह आलस्य की प्रवृत्ति बढ़ाता है। बुद्धि को भ्रमित करता है अर्थात व्यक्ति किसी भी चीज के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है। अशुभ राहुफोर्व तंत्रिका तंत्र पर बुरा असर करता है, इसलिए ये मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे पक्षाघात आदि का जल्दी शिकार होते हैं। इसके अलावा स्थान परिवर्तन करवाता रहता हैं।
केतु की बुरी दशा व्यक्ति को गले से नीचे के हिस्सों यानि सिर के अलावा शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करता है। ऐसे व्यक्तियों को फेफड़े, पेट और पैरों की परेशानियों लगी रहती हैं। और सर से निचे के शरीर में रोग देता है और ससुराल वालों से सम्बन्ध खराब करा देता है।