बोलने का स्टाइल बॉडी लैंग्वेज और मुद्दों पर पकड़... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये अब ट्रेडमार्क बन चुका है।


स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले की प्राचीर से उनका दूसरा भाषण उनके पहले भाषण से कुछ ज़्यादा अलग नहीं था।69वें स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को उनके भाषण में वही जोश, शब्दों का वही प्रभावी प्रयोग और ग़रीबों पर वही अधिक ध्यान सुनने को मिला जो पिछले साल के भाषण में मिला था।संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के ज़बरदस्त विरोध के कारण मोदी सरकार इन दिनों हताश नज़र आती है। लेकिन आज सुबह जब प्रधानमंत्री लाल क़िले की प्राचीर से बोलने आए तो उनकी आवाज़ और बॉडी लैंग्वेज पर इसका असर नहीं नज़र आया।'टीम इंडिया'नरेंद्र मोदी को आम नागरिकों से सीधा संपर्क करना ख़ूब आता है। पिछले साल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस पर उन्होंने ऐसा प्रयास पूरे देश के छात्रों और शिक्षकों को रेडियो और टीवी के माध्यम से एक साथ संबोधित करके किया था।


वो लगभग हर महीने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के ज़रिए भी आम लोगों से सीधे जुड़ते हैं। आज एक गाँव में रहने वाला एक साधारण नागरिक अगर प्रधानमंत्री की ज़ुबान से ये सुने कि वो भी टीम इंडिया का हिस्सा है तो उसका सीना फूल कर 56 इंच का ज़रूर हो जाएगा।

हाँ, ये बात और है कि उनकी ये कोशिश रंग लाएगी या नहीं, ये कहना मुश्किल है। लेकिन 'टीम इंडिया' और देश के '125 करोड़' के शब्दों का कई बार इस्तेमाल इस बात की तरफ़ इशारा है कि इनका इस्तेमाल महज़ एक संयोग नहीं है।शायद इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ी क्योंकि एक साल तीन महीने सत्ता में रहने के बाद उनकी सरकार की लोकप्रियता कम हुई है।उपलब्धियांप्रधानमंत्री ने इस बार भी कुछ नए वादे किए हैं। पहले कहा ऊपर की सतह पर भ्रष्टाचार ख़त्म हो गया है। फिर ये स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार दीमक जैसी एक बीमारी है जिसके इलाज के लिए समय चाहिए।उन्होंने वादा किया कि उनकी सरकार भारत को भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने के लिए बाध्य है। उन्होंने रिटायर्ड सैनिकों को विश्वास दिलाया कि वो उनकी वन-पेंशन-वन-रैंक की मांग को पूरी करेंगे।उन्होंने ये भी वादा किया कि जिन 18,000 से अधिक गाँवों में बिजली नहीं आई है वहां 1,000 दिनों में बिजली पहुंचाई जाएगी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh