पिछली बार से कितना अलग मोदी का भाषण
स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले की प्राचीर से उनका दूसरा भाषण उनके पहले भाषण से कुछ ज़्यादा अलग नहीं था।69वें स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को उनके भाषण में वही जोश, शब्दों का वही प्रभावी प्रयोग और ग़रीबों पर वही अधिक ध्यान सुनने को मिला जो पिछले साल के भाषण में मिला था।संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के ज़बरदस्त विरोध के कारण मोदी सरकार इन दिनों हताश नज़र आती है। लेकिन आज सुबह जब प्रधानमंत्री लाल क़िले की प्राचीर से बोलने आए तो उनकी आवाज़ और बॉडी लैंग्वेज पर इसका असर नहीं नज़र आया।'टीम इंडिया'
वो लगभग हर महीने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के ज़रिए भी आम लोगों से सीधे जुड़ते हैं। आज एक गाँव में रहने वाला एक साधारण नागरिक अगर प्रधानमंत्री की ज़ुबान से ये सुने कि वो भी टीम इंडिया का हिस्सा है तो उसका सीना फूल कर 56 इंच का ज़रूर हो जाएगा।
हाँ, ये बात और है कि उनकी ये कोशिश रंग लाएगी या नहीं, ये कहना मुश्किल है। लेकिन 'टीम इंडिया' और देश के '125 करोड़' के शब्दों का कई बार इस्तेमाल इस बात की तरफ़ इशारा है कि इनका इस्तेमाल महज़ एक संयोग नहीं है।शायद इसकी ज़रूरत इसलिए पड़ी क्योंकि एक साल तीन महीने सत्ता में रहने के बाद उनकी सरकार की लोकप्रियता कम हुई है।उपलब्धियां