सकारात्मक सोच से बदल सकता है आपका जीवन, जानें कैसे?
यह सत्य है कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति सफल होना चाहता है और आगे बढऩा चाहता है, किंतु वह कहां तक सफल हो पाता है, यह उसके संघर्ष, परिश्रम और प्रयासों पर निर्भर करता है। जीवन में दु:ख, कठिनाई, समस्याएं, बाधाएं, प्रतिकूलताएं और चुनौतियां तो आती रहेंगी, किंतु जीवन में सफतला उन्हीं को प्राप्त हुई है जिन्होंने इनको स्वीकार करके हिम्मत से इनका सामना किया और संघर्ष करते हुए इन पर विजय प्राप्त की।
संघर्ष को यदि हम जीवन का पर्याय मानते हैं तो हमें यह निश्चित समझना होगा कि संघर्ष के क्षणों में आंतरिक शक्तियों व क्षमताओं की एकजुटता ही जीवन की सफलता को सुनिश्चित करती है, लेकिन सफलता को सुनिश्चित करने से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संघर्ष के क्षणों में व्यक्तित्व की आंतरिक शक्ति-सामर्थ्य एकजुट, एकाग्र और स्थिर बनी रहे और यह तभी संभव होगा, जब हमारा चिंतन सकारात्मक होगा क्योंकि जीवन के संघर्षों में सफलता, सकारात्मक चिंतन एवं सकारात्मक प्रयासों से ही मिलती है।
सकारात्मक सोच जीवन में संतुष्टि व खुशी देती हैसकारात्मक सोच को अपनाना एक ऐसी कला है जो जीवन में संतुष्टि व खुशी सहज ही भर देती है। सकारात्मक सोच के साथ सकारात्मक बोल भी जीवन में अहम भूमिका अदा करते हैं और यह दोनों हमारे आभामंडल को शक्तिशाली व ऊर्जावान बनाते हैं। अमूमन हम सभी सारे दिन में नकारात्मक शब्दों का प्रयोग कितनी हद तक करते हैं, इसका अंदाजा शायद हम में से किसी को भी नहीं होता। मनोवैज्ञानिक शोध में यह पाया गया है कि हमें दुख, चिंता, परेशानी, समस्या आदि जैसे नकारात्मक शब्दों का प्रयोग अपनी शब्दावली से पूर्ण समाप्त कर देना चाहिए।
सकारात्मक विचार हैं जरूरीकहा जाता है कि यदि कमरे में अंधेरा है तो उसे बाहर निकालने के लिए प्रकाश चाहिए, उसी तरह नकारात्मक अवगुण निकालने के लिए हमें सकारात्मक गुण एवं आदतों की ही आवश्यकता है। अत: हम जितना-जितना उन सकारात्मक गुणों का मन में चिंतन व वाणी में प्रयोग करेंगे, उतने ही वह गुण हमारे जीवन में सहज ही आते जाएंगे।राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंजजीविफलता के तप से बनता है सफलता का योगतो इस कारण लक्ष्य से भटक जाते हैं हम, नहीं मिलती मनचाही सफलता