चीन की राजधानी बीजिंग में वायु प्रदूषण उस स्तर तक पहुंच गया है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है.

देश के आधिकारिक और अनाधिकारिक मॉनटरिंग स्टेशनों से मिली रीडिंग के मुताबिक शनिवार को चीन में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित खतरे के निशान को पार कर गया.

बीजिंग में मौजूद बीबीसी संवाददाता का कहना है कि चीन में वायु प्रदूषण के दो मुख्य स्रोत हैं हवा में कोयले के कणों की मात्रा और कारों से निकलने वाली गैस.

चीन में तेज़ी से हो रहे आर्थिक विकास ने कई शहरों की हवा की गुणवत्ता को बहुत खराब कर दिया है. बीबीसी संवाददाता डेमियन ग्रमाटिकास का कहना है कि राजधानी बीजिंग कई दिनों से गहरे धुंध में ढकी है.

शनिवार की दोपहर प्रदूषण की वजह से ये धुंध इतनी गहरी थी कि केवल कुछ सौ मीटर तक ही चीज़ें दिखाई देती थीं और गगनचुंबी इमारतें तो कोहरे की वजह से खो सी गई थीं. इतना ही नहीं घर के भीतर भी हवा में धुंधलापन देखा जा सकता था.

प्रदूषण का स्तर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रदूषण के कणों की औसत सघनता जिसे पीएम 2.5 कहा जाता है, उसकी मात्रा हवा में 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

हवा में अगर इसकी मात्रा 100 माइक्रोग्राम हो जाए तो वो प्रदूषित हो जाती है और अगर ये 300 तक चली जाए तो बच्चों और व्यस्कों को घरों के भीतर ही रहना चाहिए.

बीजिंग में जब आधिकारिकतौर पर वायु प्रदूषण को मापा गया तो हवा में प्रदूषण का स्तर 400 था लेकिन अनाधिकारिकतौर पर अमरीकी दूतावास की तरफ से मापे गए प्रदूषण स्तर 800 निकला.

ऐसी वायु में सांस लेते वक्त ये छोटे कण सांस लेने में तकलीफ पैदा कर सकते हैं साथ ही फेफड़ो के कैंसर और दिल के रोग से मौत होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

पिछले साल चीनी प्रशासन ने अमरीकी दूतावास को वायु प्रदूषण को लेकर आंकड़े न छापने की चेतावनी दी थी लेकिन दूतावास की तरफ से ये बयान आया था कि ये कदम वहां काम करने वाले कर्मचारियों के लिए है, ये कोई शहरवार ब्योरा नहीं है.


Posted By: Garima Shukla