चोगम में मनमोहन की जगह होगें सलमान खुर्शीद !
उम्मीदें होती खत्मराष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शिरकत करने की उम्मीदें बेहद धूमिल हो गई हैं। सरकार ने फैसले की औपचारिक घोषणा भले ही नहीं की हो, लेकिन तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री का कोलंबो जाना मुश्किल है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, श्रीलंका में 15 नवंबर को होने वाले इस सम्मेलन में मनमोहन सिंह की जगह विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद हिस्सा ले सकते हैं।तमिल भावनाऐं
राष्ट्रमंडल सम्मेलन को लेकर प्रधानमंत्री आवास पर शुक्रवार को बुलाई गई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक भी बेनतीजा रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत वरिष्ठ नेताओं की बैठक तमिल भावनाओं के लिहाज से खासे संवेदनशील इस मसले पर किसी नतीजे तक पहुंचने के लिए बुलाई गई थी। सूत्रों के मुताबिक घरेलू सियासत और विदेश नीति की मजबूरियों में उलझी सरकार एक-दो दिन में अपना रुख स्पष्ट कर सकती है।मनमोहन को खतरा
सूत्रों के मुताबिक बैठक बहुमत की राय थी कि मौजूदा हालात में मनमोहन का श्रीलंका दौरा मुश्किल होगा। एक तरफ भारत की रणनीतिक जरूरतों और विदेश नीति प्राथमिकताओं के मद्देनजर पीएम का कोलंबो दौरा जरूरी माना जा रहा है। दूसरी ओर, श्रीलंका में तमिलों से बदसलूकी के कारण तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सरकार ही नहीं केंद्र सरकार को समर्थन कर रही द्रमुक भी पीएम के दौरे के खिलाफ है। करुणानिधि ने कोर ग्रुप की बैठक के ठीक पहले भारत के सम्मेलन के बहिष्कार की मांग दोहरा कर सरकार पर दबाव बढ़ा दिया था।जाफना भी जाएगेंवैसे कूटनीतिक प्रबंधकों ने श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री की ओर से मिले निमंत्रण के रास्ते पीएम के दौरे का गलियारा बना लिया है। यदि प्रधानमंत्री की यात्रा के हक में फैसला होता है तो पीएम कोलंबो के साथ-साथ जाफना भी जा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि पीएम के दौरे के लिए तैयारियां की जा चुकी हैं, लेकिन यह फैसला राजनीतिक स्तर पर किया जाना है।सरकार के मतभेदमहत्वपूर्ण है कि इस मुद्दे को लेकर सरकार के भीतर भी मतभेद हैं। सूत्र बताते हैं कि रक्षा मंत्री एके एंटनी भी पीएम को यात्रा टालने की सलाह दे चुके हैं। तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करने वाले जहाजरानी मंत्री जीके वासन समेत कई मंत्री भी पीएम से मिलकर कोलंबो दौरा टालने का आग्रह कर चुके हैं। इसी ऊहापोह के मद्देनजर बीते एक पखवाड़े में दो बार हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक भी समाधान का कोई फार्मूला नहीं निकाल पाया।