मुक्तिनाथ मंदिर में मोदी ने की पूजा, दो धर्मों की आस्था से जुड़ी है नेपाल की यह जगह
मुक्तिनाथ मंदिर में पूजाकाठमांडू (प्रेट्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल में दूसरे और आखिरी दिन की शुरुआत मुक्तिनाथ मंदिर में दर्शन के साथ की। इसी तरह वे वहां दर्शन करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए। बता दें कि मोदी ने मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान बौद्ध पारंपरिक लाल पोशाक पहनी। इसके अलावा उन्होंने मंदिर में बौद्ध और हिन्दू दोनों की विधियों से पूजा की। मुक्तिनाथ मंदिर में दर्शन को लेकर नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार को कहा था कि मोदी शनिवार को मुक्तिनाथ मंदिर में पूजा करने वाले पहले विदेशी अतिथि होंगे। मोदी के लिए कड़ी सुरक्षा
मुक्तिनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद मोदी ने मंदिर परिसर में इंतजार कर रहे लोगों के साथ बातचीत की। बता दें कि मोदी की यात्रा के मद्देनजर मस्तंग में हाई सिक्योरिटी के इंतजाम किये गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय प्रशासन ने मोदी की यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए एक विशेष सुरक्षा योजना बनाई थी। मंदिर से जुड़ी खास बात
पुराणों के मुताबिक, मुक्तिनाथ मंदिर का संबंध सृष्टि के आरंभ काल से माना जाता है, जहां विष्णु की पूजा शालिग्राम रूप में होती है। मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, मुक्तिधाम मंदिर हिमालय में 3 हजार 700 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई पर मौजूद है। इस मंदिर को वहां हिंदू और बौद्ध दोनों ही पवित्र मानते हैं। पुराणों के मुताबिक, मुक्तिनाथ वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह तीर्थस्थान शालिग्राम भगवान के लिए प्रसिद्ध है और शालिग्राम असल में एक पवित्र पत्थर होता है, जिसकी वहां पूजा की जाती है। यह मुख्य रूप से नेपाल की ओर प्रवाहित होने वाली काली गण्डकी नदी में पाया जाता है। पारंपरिक रूप से भगवान विष्णु शालिग्राम शिला या शालिग्राम पत्थर के रूप में पूजे जाते हैं। इस पत्थर का निर्माण प्रागैतिहासिक काल में पाए जाने वाले कीटों के जीवाश्म से हुआ था।