पीएम मोदी के 9 मिनट के ब्लैकआउट कॉल को लेकर ग्रिड कॉरपोरेशन की नींद उड़ी, ग्रिड फेल रोकना है चुनौती
मुंबई (पीटीआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अप्रैल को रात 9 बजे 9 मिनट के ब्लैकआउट आह्वान ने ग्रिड कॉरपोरेशन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। ग्रिड प्रबंधक उस वक्त ग्रिड स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अभी से प्लॉनिंग करने लगे। राज्य-संचालित पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन (POSOCO) जो ग्रिड के इंटीग्रेटेड ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है वह अभी से काम में जुट गया। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि जब पूरे देश में लाइट बंद हो जाएगी, तो ग्रिड पर दबाव कम हो जाएगा, ऐसे में उसके फेल होने का खतरा बन रहा है।
लाइट बंद होने से ग्रिड फेल होने का खतरासेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉर्रिटी (सेरा) के मुताबिक, सामान्य रूप से एक ग्रिड को 49.95 से 50.05 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी बैंड की आवश्यकता होती है। अब बिजली सप्लाई में अचानक वृद्धि या कमी आती है तो ग्रिड फेल होने का खतरा बढ़ जाता है। एक अफिशल ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, 'वर्तमान में पूरा बिजली विभाग तनाव में है। लॉकडाउन के कारण बिजली की मांग पहले ही काफी गिर गई। अब कुछ मिनट के लिए जब पूरे देश में ब्लैकआउट होगा, इससे टेंशन और बढ़ गया। हालांकि अभी एक दिन का समय है और पहले से प्लॉनिंग कर सकते हैं।'
लॉकडाउन के चलते मांग वैसे भी कम
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच बिजली की मांग में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है 2 अप्रैल 2019 को 168.32 GW की तुलना में इस बार 2 अप्रैल को 125.81 GW की मांग रही। अधिकारी के अनुसार, पोस्को ने सभी पांच रीजनल लोड सेंटर और एक सेंटर लोड सेंटर को इस बात की सूचना दे दी है। उनसे कहा गया कि, वह यह सुनिश्चित करें कि ब्लैकआउट के बीच ग्रिड की फ्रीक्वेंसी में ज्यादा परिवर्तन न हो।करनी होगी तैयारीएक उद्योग विशेषज्ञ ने कहा कि चूंकि यह एक नियोजित ब्लैकआउट है, इसलिए ग्रिड का प्रबंधन करने के लिए पर्याप्त समय होना चाहिए। "यह 2012 के ब्लैकआउट के विपरीत है जिसके परिणामस्वरूप असफलता मिली थी। चूंकि इस बार उन्हें सटीक समय पता है, इसलिए इसे प्रबंधित करना आसान होगा। इसके अलावा, केवल घरों में लाइटें बंद होंगी। अन्य प्रतिष्ठानों और स्ट्रीट लाइटों में बिजली आपूर्ति जारी रहेगी।'