यूक्रेन में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने प्रधानमंत्री और उनकी केबिनेट मंत्रियों का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है.


प्रधानमंत्री मिकोला अज़ारोव ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है कि उन्होंने ''समाजिक और राजनीतिक समझौते'' के लिए अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.यूक्रेन की संसद के 'विरोध प्रदर्शनों' को प्रतिबंधित करने वाले फ़ैसले को भारी बहुमत से संसद द्वारा रद्द किए जाने के बाद प्रधानमंत्री ने ये कदम उठाया है.पिछले कुछ दिनों से यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा देश के पूर्व में उन इलाकों में भी सरकार और राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों हो रहे हैं जिन्हें राष्ट्रपति का गढ़ माना जाता था.कई शहरों में इन प्रदर्शनकारियों ने सारकारी इमारतों पर कब्ज़ा कर लिया है.प्रधानमंत्री अज़ारोव देश में काफ़ी अलोकप्रिय हो गए थे. विपक्ष का आरोप है कि उनकी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को सँभालने में और भ्रष्टाचार पर काबू पाने में पूरी तरह नाकाम रही है.हिंसा


मंगलवार को आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणी शहर खैरसन में प्रदर्शनकारियों ने तीन पुलिसवालों पर चाकू से हमला किया. इस हमले में एक पुलिस वाला मारा गया है.प्रदर्शनों संबद्ध हिंसा में अब तक कुल मिलाकर पांच लोग मारे जा चुके हैं. इस क़ानून के संसद में पेश किए जाने के बाद से ही वहां हिंसा शुरु हो गई थी.

रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूरोपीय संघ के सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री अज़ारोव के इस्तीफ़े के बावजूद जो भी सहमतियां उनके साथ की गई थी वो लागू रहेंगी, चाहे विपक्ष भी आकर सरकार बना ले. उन्होंने सम्मेलन में कहा कि हाल में रुस ने जो वित्तीय सहायता देने की बात कही थी उसका मकसद केवल वर्तमान सरकार का ही मदद करना नहीं था.रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन को सहयोग जारी रखने के वादे के साथ कहा कि "यूक्रेन के लोग अपनी समस्याएं खुद सुलझा लेंगे और रूस उसमे कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा. पर मैं समझ सकता हूँ की अगर रूस का कोई प्रतिनिधि ग्रीस में किसी यूरोपीय संघ के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन में पहुच जाता और लोगों से कुछ करने की अपील करता तो हमारे यूरोपीय संघ के साथी क्या कहते. "पुतिन ने कहा कि वो यूरोपीय हस्तक्षेप को गलत मानते हैं हैं क्योंकि यूक्रेन और रूस के बीच में ख़ास संबंध हैं .

कीव में मौजूद बीबीसी संवाददाता डेविड स्टर्न का कहना है कि अज़ारोव के जाने भर से देश में शांती आ जाएगी इस बात की संभावना कम ही है. स्टर्न के अनुसार दो हफ़्तों पहले जिन प्रधानमंत्री के हटने की बात सोची भी नहीं जा सकती थी उन प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा यह तो बताता है कि देश में हालात बदल रहे हैं.बीबीसी संवाददाता का कहना है कि देश के शांती की बहाली इस बात पर भी निर्भर करेगी कि अगली सरकार किसकी आती है. देश के तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं और राष्ट्रपति यानुकोविच के बीच विश्वास की काफ़ी ज़्यादा कमी है.अभी यह भी कोई नहीं कह सकता कि राष्ट्रपति अगली सरकार को काम करने के लिए कितनी आज़ादी देते हैं.

Posted By: Subhesh Sharma