अंगरेजों की बनाई IPC बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट मेंं PIL, माॅडर्न सोसाइटी में अपराध के मुताबिक पीनल कोड बनाने की मांग
नई दिल्ली (पीटीआई)। आईपीसी बदलने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में वकील तथा बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है। उनकी दलील थी कि सर्वोच्च न्यायालय संविधान के कस्टोडियन तथा मूल अधिकारों के रक्षक के तौर पर भारतीय विधि आयोग को मौजूदा हालात में देश के भीतर अपराध तथा भ्रष्टाचार को देखते हुए छह महीने में प्रासंगिक भारतीय दंड संहिता ड्राफ्ट करने के लिए निर्देश दे सकती है।ऐसा कानून बने जिसके सामने सब बराबर तथा सबको सुरक्षा
पीआईएल दाखिल करने वाले एडवोकेट अश्विनी दुबे ने कहा कि देश में मौजूदा अपराध तथा भ्रष्टाचार को देखते हुए एक प्रासंगिक, प्रभावी तथा कठोर दंड संहिता जो एक राष्ट्र एक दंड संहिता के तौर पर बनाने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को एक्सपर्ट कमेटी गठित करने का निर्देश दे। यह कानून ऐसा होना चाहिए जिसके समक्ष सभी बराबर हों तथा सबको बराबरी से सुरक्षा प्रदान की जा सके तथा देश में कानून का राज हो।माॅडर्न अपराधों को ध्यान में रखकर बने सख्त कानून
याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई हो सकती है। इसमें कहा गया है कि 161 वर्ष पुराने औपनिवेशिक आईपीसी की वजह से आम जनता को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इसमें कहा गया है कि कानून का राज, जीवन का अधिकार, आजादी तथा प्रतिष्ठा तब तक सबको नहीं मिल सकता जब तक वन नेशन वन पीनल कोड मौजूदा समाज के हिसाब न बनाया जाए। इसमें घूसखोरी, मनी लाॅन्ड्रिंग, काला धन, मुनाफाखोरी, मिलावट, जमाखोरी, काला बाजारी, मादक पदार्थों की तस्करी, सोने की तस्करी तथा मानव तस्करी पर विस्तार से कानून बनाना होगा।समान अपराध के लिए हर राज्य में अलग-अलग सजायाचिका में कहा गया है कि यदि यह आईपीसी जरा भी प्रभावशाली होती तो तमाम अंगरेजों को सजा मिली होती न कि स्वतंत्रता सेनानियों को दंडित किया जाता। हकीकत यह है कि आईपीसी 1860 तथा पुलिस एक्ट 1861 बनाने के पीछे का मकसद था 1857 जैसे आंदोलन दोबारा न हो सके। इसमें कहा गया है कि इस कानून में डायन हत्या, झूठी शान में हत्या, भीड़ द्वारा पीटने, गुंडा एक्ट इत्यादि जैसे कानून आईपीसी में शामिल नहीं किए गए जिससे इस प्रकार के समान अपराध के लिए हर राज्य में अलग-अलग सजा मिलती है।समाज में कानून का राज स्थापित होने के लिए बने नया आईपीसी
इसलिए जरूरी है कि सजा का मानक तय करने के लिए एकसमान एक नये भारतीय दंड संहिता का निर्माण जरूरी है। भारत को आज के समाज के अनुकूल प्रभावशाली पीनल कोड की जरूरत है ताकि समाज में कानून का राज स्थापित हो सके। साथ ही जिससे, सभी नागरिकों को जीवन की सुरक्षा, आजादी, मान-सम्मान मिल सके।