'ह्यूज़ की मौत के बाद जारी है स्लेजिंग'
खुद 13 साल तक क्रिकेट खेलने के नाते मैं जानता हूं कि 'चलो उसका सिर फोड़ दो!', यह मैदान पर किसी फ़ील्डर का बॉलर को बोले जाना वाला एक बेहद सामान्य वाक्य है.लेकिन अब हम जानते हैं कि एक क्रिकेट बॉल दरअसल कितना नुक़सान बहुंचा सकती है, तो यह कितना सही है? और क्या यह पहले कभी था भी?'निरीक्षण का समय'एशेज़ के पिछले सीज़न के पहले टेस्ट में सबसे ज़्यादा साफ़ और बार-बार की जाने वाली स्लेजिंग (विरोधी खिलाड़ी पर छींटाकशी) क्लार्क ने की.
ऐसा लगता था कि क्लार्क स्वीकार कर रहे हैं कि अब क्रिकेट को अलग तरह से खेला जाना चाहिए, कम से कम ज़्यादा सम्मानपूर्वक.जो लोग मैदान में गाली-गलौज ख़त्म करने की उम्मीद करते हैं उन्होंने तो इसकी व्याख्या इसी तरह की.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हालिया टेस्ट शृंखला में गालियां और भद्दे इशारे चाहे जिसने भी शुरू किए हों- तथ्य यह है कि कुछ भी नहीं बदला है और यह निराशाजनक है.आईसीसी अगले महीने विश्व कप तक नए, सख़्त स्लेजिंग विरोधी नियम लागू करने जा रहा है. मुझे यकीन है कि यह भी उतने ही सख़्त होंगे जितने कि थ्रोइंग को साफ़ करने वाले थे.यह तो आने वाले वक्त में देखा जाएगा लेकिन यह शर्मनाक है कि खुद खिलाड़ियों ने इसके लिए उत्साह महसूस नहीं किया.