29 मिनट में लंदन से न्यूयॉर्क, कैसे?
एक प्रमोशनल वीडियो में दावा किया गया कि लंदन से न्यूयॉर्क पहुंचने में महज़ 29 मिनट लगेंगे।
मस्क ने वहां मौजूद दर्शकों से कहा कि उनका लक्ष्य 2024 तक लोगों को मंगल ग्रह पर भेजने का है। उनकी कंपनी स्पेस-एक्स अगले साल से इसके लिए काम करना शुरू कर देगी। 'दूसरे ग्रह ले जाएगा बीएफआर'उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी स्पेस-एक्स एक ग्रह से दूसरे ग्रह की यात्रा में सक्षम वाहन के निर्माण पर ही काम करेगी, जिसे बीएफ़आर कहा जाता है।मस्क ने मंगल यात्रा से जुड़ी अपनी महत्वकांक्षी योजना के बारे में पहली बार पिछले साल आयोजित एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में बताया था। इस बार वे विस्तृत योजना के साथ पहुंचे थे।पिछले साल के मुकाबले बीएफ़आर के आकार को छोटा किया गया है, बीएफ़आर 106 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा है।सिर्फ 3 साल बाद आप 4G को भूल जाएंगे, क्योंकि तब इंडिया में शुरू होगी 1 GBPS वाली 5जी सर्विस
दूरदर्शी सोच की वजह से उनके प्रशंसकों की भी बड़ी संख्या है। हालांकि उनकी कई योजनाओं को पूरा होने में काफ़ी लंबा वक्त लगा है लेकिन उनके खाते में कई उपलब्धियां हैं जो पहले किसी के नाम नहीं रहीं। इनमें, मिशन ख़त्म कर धरती पर सफल लैंडिंग करने वाले 16 ऑरबिटल क्लास रॉकेट शामल हैं। इनमें से दो ऐसे रॉकेट थे जिसने दूसरी बार उड़ान भरी थी।
वो चीजों को पुनः इस्तेमाल की सोच रखते हैं। वो कहते हैं कि अंतरिक्ष यात्रा महंगी इसलिए है क्योंकि एक बार इस्तेमाल के बाद विमान का दोबारा उपयोग नहीं होता है। वो कहते हैं कि अंतरिक्ष के रॉकेट को यात्री हवाई जहाज की तरह क्यों नहीं बनाया जा सकता, जिसका अधिकतर खर्च उनके इंधन पर होता है?उनके फ़ाल्कन 9 को आंशिक रूप से दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि बीएफ़आर पुनः इस्तेमाल करने लायक होंगे।मस्क ने (मानवरहित) बीएफ़आर के कार्गो प्रारूप को 2022 तक मंगल पर भेजने की बात कही है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो अपनी योजनाएं कई बार तय समय पर पूरा नहीं कर पाते।International News inextlive from World News Desk