धोनी के चलते 8 साल तक टीम से बाहर रहा था ये खिलाड़ी
कानपुर। 9 मार्च 1985 को गुजरात के अहमदाबाद में जन्में पार्थिव पटेल भारत के बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। पार्थिव काफी टैलेंटेड खिलाड़ी थे, सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं विकेटकीपिंग में भी उन्हें महारथ हासिल थी। मगर उनकी यही ताकत उनके लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाएगी, यह किसी ने सोचा न था। पार्थिव ने धोनी के वनडे डेब्यू से दो साल पहले ही टीम इंडिया में इंट्री मारी थी। उस वक्त टीम इंडिया को एक बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी जिसमें पार्थिव पूरे खरे उतर रहे थे। जब-तक वह टीम के परमानेंट सदस्य बनते, इधर धोनी टीम इंडिया में आ चुके थे। माही के आने के बाद पार्थिव के करियर पर जैसे ग्रहण लग गया। धोनी दिनोंदिन तरक्की करते गए और कप्तान बन गए और पार्थिव को टीम में रखने का कोई मकसद नहीं बचा।
34 साल के हो चुके पार्थिव ने भारत के लिए बहुत कम उम्र में खेलना शुरु कर दिया था। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, पटेल ने टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला मैच 2002 में रात्रा के घायल हो जाने पर इंग्लैंड के विरुद्घ नाॅटिंघम में खेला। पार्थिव ने जब यह मैच खेला, तब उनकी उम्र 17 साल 152 दिन थी। वह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में सबसे युवा विकेटकीपर बन चुके थे, उन्होंने पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद के पिछले कीर्तिमान को पीछे छोड़ दिया (जो 1952 से 17 वर्ष और 300 दिन की आयु पर उनके नाम पर था), हालांकि अब तक वे किसी प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट में नहीं खेले थे। पहली पारी में वह शून्य पर आउट हो गए थे लेकिन अंतिम दिन उन्होंने एक घंटे से भी अधिक समय तक बल्लेबाजी की थी और मैच ड्रा कराया था। आठ साल बाद की थी वापसी
पार्थिव की यह उपलब्धि भी उन्हें ज्यादा दिन तक टीम में रख नहीं पाई। डेब्यू के शुरुआती छह सालों में पार्थिव को सिर्फ 24 टेस्ट मैचों में खेलने का मौका मिला। 2008 के बाद तो मानों वह गायब ही हो गए और करीब आठ साल तक टीम इंडिया से दूर रहे। पार्थिव ने साल 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया में फिर वापसी की। इसी के साथ एक और अनोखा रिकाॅर्ड अपने नाम किया। उनके नाम सबसे अधिक मैच मिस (दो मैच के बीच गैप) करने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ। 2008 से 2016 के बीच भारतीय टीम ने 83 टेस्ट खेले। तब पार्थिव ने पियूष चावला (49 टेस्ट) का रिकॉर्ड तोड़ा था।