इराक़ में फँसी भारतीय नर्सों की मुश्किलें सामने आईं
तिकरित टीचिंग अस्पताल में काम करने वाली 46 नर्सों में से एक नर्स हैं, मरीना. मरीना ने बीबीसी को बताया, ''हमें फ्रिज में कई दिनों का रखा हुआ खाना दिया जा रहा है. बासी खाना खाने से हमारी तबियत खराब हो रही है. खाने में भी केवल रोटी मिल रही है. चाय और दूध तक मयस्सर नहीं.’’अस्पताल में फंसी सभी 46 नर्सें दक्षिणी केरल की रहने वाली हैं. इनकी उम्र 24 से 40 साल के बीच है.मरीना बताती हैं, ''हमें अस्पताल के एक वार्ड में रखा गया है. रात में भी यहीं सोना पड़ता है. यहां से निकलकर हम कहीं बाहर नहीं जा सकते क्योंकि अस्पताल परिसर के भीतर हर जगह सशस्त्र चरमपंथी घूम रहे हैं.’’
मरीना ये कहते हुए बेहद भावुक हो उठती हैं, ''हां, भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने हमसे बात की है. रेड क्रॉस के अधिकारियों की भी एक टीम हमसे मिलने अस्पताल आई थी और वादा कर गई कि जल्दी ही कुछ बंदोबस्त किया जाएगा. हम तभी से गाड़ी का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन हर कोई केवल बात कर रहा है, हमें यहां से निकालने के लिए कोई कुछ करता हुआ नज़र नहीं आ रहा. अब कोई उम्मीद नहीं बची है."अस्पताल में हथियारबंद चरमपंथी
मरीना के अनुसार वे अस्पताल में नर्सिंग का कोई काम नहीं कर पा रहीं क्योंकि आईएसआईएस चरमपंथियों ने मरीजों को देखने की इजाजत केवल डॉक्टरों को दे रखी है.अस्पताल में फंसी एक और नर्स श्रुति की मां शोभा शशि कुमार ने केरल के कोट्टयम स्थित पुदुपल्ली से बीबीसी को फोन पर जानकारी दी कि रविवार की रात ही उनकी अपनी बेटी से बात हुई थी.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने नाम ज़ाहिर नहीं करने के आश्वासन पर बताया, ''मुख्यमंत्री ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बातचीत भी की है. सुषमा ने कहा है कि विदेश सचिव हमारे मुख्यमंत्री से बात करेंगे. लेकिन अभी तक कोई फोन नहीं आया है.''उस अधिकारी ने यह भी बताया है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में इराक के अन्य हिस्सों से भी फोन आ रहे हैं.