Papmochani Ekadashi 2020 : जब अप्सरा को मिला था पिशाचनी बनने का श्राप, ये व्रत रख मिली थी मुक्ति
कानपुर। Papmochani Ekadashi 2020 : पापमोचनी एकदाशी इस वर्ष आज मनाई जा रही है। इस एकदाशी को पापमोचनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका व्रत रखने से श्रद्धालुओं को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस खास व्रत की कथा जानते हैं आप, अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं। एक बार की बात है नारदजी ने जगत पिता ब्रह्माजी से कहा कि प्रभु और पापमोचनी एकादशी का वर्णन करें। ब्रह्माजी ने नारद के आग्रह करने के बाद कथा प्रारम्भ की और बताया कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
ऋषि ने तपस्या भंग होने पर अप्सरा को दिया श्रापइस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी बोले प्राचीन समय में चित्ररथ नामक एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इंद्र, गंधर्व कन्याओं व देवताओं सहित विचरण करते थे। मेधावी नामक ऋषि भी उस वन में तपस्या कर रहे थे। वे ऋषि शिव के बड़े भक्त थे पर अपसराएं शिवद्रोही थीं। एक दिन कामदेव ने मुनि के तप को भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नाम की अप्सरा को भेजा। मुनि की तपस्या भंग हो गई और फिर मंजुघोषा ने ऋषिमुनि से देवलोक जाने की आज्ञा मांगी परंतु ऋषिवर उस पर क्रोधित होकर उसे श्राप दे बैठे। उन्होंने उसे श्राप दे कर सुंदर अप्सरा से पिशाचनी बना दिया।
पापमोचनी एकादशी का व्रत रख मंजुघोषा पाप से हो गई मुक्तइसके बाद मंजुघोषा ने पूछा कि इस श्राप से मुक्ति को क्या उपाय है। इस पर ऋषिवर ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा। उपया बताने के बाद वो अपने पिता च्यवन के आश्रम में चले गए। ऋषि ने अपने पुत्र द्वारा दिए गए श्राप की निंदा की और अपने पुत्र को पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दे डाली। मंजुघोषा ने पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा और पिशाचनी से वो फिर से सुंदर अप्सरा बन गई। ब्रह्माजी ने ये कथा सुनाते हुए नारद से आगे कहा कि जो कोई ये व्रत विधि- विधान से करेगा उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाएगी।