पाक: हामिद मीर की तरह खुश किस्मत नहीं थे शहज़ाद
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कुछ पत्रकारों ने तुरंत सक्रिय होते हुए शहज़ाद की हत्या के लिए पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई पर आरोप लगाया था लेकिन हत्या की जांच के लिए बनाया गया न्यायिक आयोग किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच सका था.हामिद मीर का मामला भी वैसा ही मोड़ लेता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि उनके भाई ने इन हमले के लिए खुफ़िया एजेंसी को ज़िम्मेदार ठहराया है.शहज़ाद पाकिस्तानी सेना और अल-क़ायदा के बीच कथित संबंधों की पड़ताल कर रहे थे, जब उनका अपहरण किया गया और बाद में वो 30 मई 2011 को इस्लामाबाद के क़रीब एक नहर के पास मृत पाए गए.इस मामले की जांच के लिए गठित किए गए न्यायिक आयोग ने इस अपहरण और हत्या के पीछे होने से आईएसआई को साफ़ बरी कर दिया.
हालांकि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया कि सरकार को ख़ुफ़िया एजेंसियों के ऊपर अधिक नियंत्रण रखने की ज़रूरत है.हत्या की साजिश
इसके साथ ही सेना के प्रभाव वाले रक्षा मंत्रालय ने जियो न्यूज के लाइसेंस को रद्द करने के लिए एक शिकायत दायर की है. ये शिकायत हामिद मीर पर हमले के बाद जियो न्यूज़ पर कथित रूप से प्रसारित सेना विरोधी सामग्रियों के चलते की गई है.इसके बाद रक्षा मंत्रालय की शिकायत की समीक्षा के लिए पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पैमरा) ने बुधवार को तीन सदस्यों वाली एक समिति का गठन किया.ऐसे में जियो टीवी पर प्रतिबंध असंभव नहीं है.इस बीच एक कम चर्चित तालिबानी ट्विटर खाते पर हमले की जिम्मेदारी ली गई है और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रवक्ता ने इस दावे से इनकार किया है. ऐसे में हमले को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है.ट्विटर अकाउंट @तहरीकएतालिबान पर हमले के तुरंत बाद दावा किया गया, "हम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पंजाब चैप्टर हामिद मीर पर हुए हमले की जिम्मेदारी लेते हैं. हमने इसे लश्कर-ए-झांगवी कराची के भाइयों के साथ मिलकर अंजाम दिया."इस ट्विटर खाते का इस्तेमाल 11 फरवरी से केवल दो बार किया गया है.