पाकिस्तान की प्रमुख टीवी शख़्सियत हामिद मीर पर किसने घातक हमला किया क्यों किया? ये उलझनें तो सुलझती रहेंगी लेकिन इस हमले का एक लाभ ज़रूर हुआ है कि प्रधानमंत्री भवन से लेकर पान के खोखे वाले तक सभी ने निंदा की है.


पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खड़ी इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट (आईएफजे) कई वर्षों से चीख-चीख कर गला बैठा रही है कि पाकिस्तान पत्रकारों की सुरक्षा के संदर्भ में पांच सबसे ख़तरनाक देशों में से है.पिछले दस वर्षों में देश के चारों प्रांतों में 250 के लगभग पत्रकार और मीडियाकर्मी जान से हाथ धो बैठे हैं. मरने वालों में अधिकांश का ताल्लुक अशांत बलूचिस्तान, तालिबान की दहशत से जूझते क़बाइली इलाक़ों, खैबर पख्तूनख्वा के छोटे शहरों और सबसे बड़े मगर सबसे असुरक्षित शहर कराची से है और छोटे अख़बारों या रेटिंग के लिहाज से बीच के टीवी चैनलों से है.इसलिए लोग अक्सल 'बड़ा अफसोस हुआ' कह कर बात बढ़ा देते हैं. केंद्र और राज्य सरकारें मरने वालों के रोने वालों को पांच-दस लाख रुपए की भेंट टिका कर समझती हैं कि पीछे रह जाने वालों के आँसू खुश्क हो जाएंगे.


मगर क्लिक करें हामिद मीर पर हुए हमले ने कम से कम सभी को ये झटका तो दिया कि मामला थोड़ा सा ज़्यादा गंभीर है, पर विडंबना ये भी है कि पहले सिवाय सरकार के सभी मीडिया से डरते थे. अब कोई भी नहीं डरता, सिवाय मीडिया के.यूं बदले हालात

इसके बाद तो चल सो चल. क्या गुप्तचर संस्थाएं, क्या रूढ़िवादी, चरमपंथी, क्या हथियारबंद राजनीतिक लड़ाके, क्या निजी ज़मीनदार और क्या क्लिक करें तालिबान. सबने ही शिकार बांध लिए.आज सब मीडिया संस्थाएं एक दूसरे की रेटिंग को लेकर गाली भी दे रही हैं और ये भी कह रही हैं कि हम सब को एक बिरादरी के हिसाब से इस चुनौती का मुक़ाबला करना चाहिए.मगर ये भी है कि यदि किसी अख़बार या चैनल का रिपोर्टर मर जाए तो दूसरे बस इतनी ही बेनामी सूचना देते हैं कि एक लोकल चैनल का रिपोर्टर फलां-फलां जगह मर गया और अब सुनिए आज के मौसम का हाल.मुझे बस इतनी सी परेशानी है कि पाकिस्तानी मीडिया जिसे सारे जहान का दर्द उठता रहता है, उसे किसी ने ये कहावत नहीं सुनाई कि 'आइदर हैंग टुगैदर, अदरवाइज़ यू विल बी हैंग्य सैपरेटली.'हामिद मीर जब तक अस्पताल में पड़े जख़्म गिन रहे हैं, तब तक इस कहावत का उर्दू अनुवाद कर दें तो हो सकता है कि नब्बे प्रतिशत जूतम-जूता चैनलों और अख़बारों के मालिकों तक ये पैग़ाम पहुंच जाए.वर्ना आज हम, कल तुम्हारी बारी है वाला मामला तो चल ही रहा है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh