एक पक्षी ने पाकिस्तानी सरकार को डाला मुश्किल में
हुबारॉ तिलोर पक्षी शर्मीला लेकिन खूबसूरत होता है और आकार में टर्की चिड़िया जैसा दिखता है। हर साल सर्दियों में ये मध्य एशिया से उड़कर पाकिस्तान आते हैं।लेकिन इनके साथ ही धनी और प्रभावशाली अरब के लोग भी यहां शिकार करने आ जाते हैं।वन्य जीव संरक्षण को लेकर काम करने वाले लोगों के हंगामे के बाद देश की शीर्ष अदालत ने पिछले अगस्त में सरकार को विदेशी वीआईपी मेहमानों को शिकार की अनुमति देने पर रोक लगा दी थी।यह प्रतिबंध उस रिपोर्ट के बाद लगाया गया जिसमें कहा गया था कि तीन सप्ताह के लिए शिकार पर आए सउदी प्रिंस ने क़रीब 2,100 पक्षियों का शिकार किया, जबकि उन्हें 100 पक्षियों के शिकार की अनुमति दी गई थी यानी अनुमति से 2000 ज़्यादा पक्षियों का शिकार।हल्की बादामी रंग के इन पक्षियों का शिकार बाज की मदद से किया गया।
हुबारॉ को वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय संधि (बॉन संधि) में शामिल किया गया है।
इस बात की कोई आधिकारिक जानाकारी नहीं है कि इन्हें हर साल शिकार की कितनी परमिट दी जाती है.आम तौर पर चलन ये है कि सउदी वीआईपी पंजाब के रहीम यार ख़ान जाते हैं जबकि खाड़ी देशों के लोग बलूचिस्तान के अवारां, वाशुक, चाघी और झाल माग्सी ज़िलों का रुख करते हैं।पाकिस्तान ने 1992 में वाशुक में शम्सी इलाक़े को संयुक्त अरब अमीरात को शिकार के उद्देश्य से लीज़ पर दे दिया था।यूएई ने यहां एक हवाई पट्टी और रिहाईशी परिसर भी बनाया है। जब 2001 में अमरीका ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला बोला था, इसे अमरीका को मिलीटरी बेस बनाने के लिए लीज़ पर दे दिया गया था।
उन्होंने अपील की है, “पक्षियों का शिकार करने आने वाले विदेशी मेहमानों ने केवल कुछ कल्याणकारी परियोजनाएं ही नहीं शुरू की हैं बल्कि एक सीज़न में 50 पक्षियों का शिकार करने के लिए एक करोड़ रुपये का भुगतान करते हैं।”उन्होंने अदालत को बताया कि बलूचिस्तान को शिकार के हर सीज़न में कम से कम 2 अरब रुपये की कमाई होती है।पाकिस्तानी अपने लिये हुबारॉ का शिकार नहीं करते हैं बल्कि वो बड़े पैमाने पर इन्हें पकड़ते हैं और तस्करों के हाथ बेचते हैं, जो इन्हें खाड़ी के देशों में भेज देते हैं।पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता ने बीबीसी को बताया कि यह चिड़िया उड़ने की बजाय चलना ज़्यादा पसंद करती है इसलिए इसे पकड़ना आसान होता है।उनके मुताबिक़, “पकड़ कर इन पक्षियों को पाकिस्तान से बाहर तस्करी कर दिया जाता है।”
पाकिस्तान सरकार वाकई इस अदालती प्रतिबंध को हटाए जाने की कोशिश कर रही है लेकिन अगर ऐसा होता भी है तो भी कई लोगों का तर्क है कि पारिस्थिति को ध्यान में रखते हुए ऐसा होना चाहिए।