इमरान ख़ान लोकतंत्र की जड़ें खोद रहे हैं?
क्या यह पाकिस्तान में लोकतंत्र को मज़बूत कर रहा है या उसकी जड़ें खोद रहा है? ये ऐसे सवाल हैं जो इस समय हर शख़्स को परेशान कर रहे हैं जो पाकिस्तान के हालात पर नज़र गड़ाए हुए हैं.आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव का मानना है कि ऊपरी तौर पर यह आंदोलन तो भारत के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन जैसा ही लगता है लेकिन इसके पीछे पाक फ़ौज की शह से इसे नया आयाम मिलता है.उनका मानना है कि भारत के आंदोलन की तरह इसका उद्देश्य रचनात्मक नहीं है.पढ़ें, योगेंद्र यादव का विश्लेषणपाकिस्तान में जो चल रहा है उसे जनउभार, जनांदोलन या जनाक्रोश की तरह देख सकते हैं लेकिन मुझे लगता है कि सिर्फ़ इस अर्थ में समझना नाकाफ़ी होगा.
इसके पीछे एक स्थापित राजनीतिक दल है, एक स्पष्ट राजनीतिक मंशा है, इसमें चुनाव में जीत कर आई एक सरकार को डेढ़ दो साल में ही उखाड़ फेंकने का इरादा है और इसके पीछे कहीं न कहीं पाकिस्तान फ़ौज की शह है.ये इसे एक सामान्य जनांदोलन की बजाय दूसरा चरित्र देता है. इसमें एक ख़तरनाक पुट है- जैसे कि लोकतंत्र को चुनौती दी जा रही हो, जैसे कि यह कुछ बनाने का नहीं बल्कि कुछ उखाड़ने का आंदोलन हो.बुनियादी फ़र्क़
एक पड़ोसी और एक व्यक्ति होने के नाते हम सब की अपेक्षा यही होनी चाहिए कि पाकिस्तान की घटनाएं उसके लोकतंत्र को मज़बूत करेंगी, न कि उसके विध्वंस में.यह भारत के लिए बहुत ज़रूरी है. पाकिस्तान में ऐसा कुछ हो जो उसके लोकतंत्र को ही हिलाए, यह भारत के लिए कतई अच्छी ख़बर नहीं है.