#70yearsofpartition: भारत-पाक बंटवारा: 70 साल बाद भी वो दर्द जिंदा है
हाल ही में, यानी 18 जून को भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का एक बड़ा मुक़ाबला हुआ था। ये आईसीसी की चैंपियंस ट्रॉफ़ी का फ़ाइनल मैच था। दोनों ही देशों में क्रिकेट के प्रति ज़बरदस्त दीवानगी है। इस मैच को लेकर भी दोनों देशों में ज़बरदस्त उत्साह था। सिर्फ़ क्रिकेट के प्रति लगाव ही नहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत सी बातें साझा हैं। ये मैच, दक्षिण एशिया में नहीं, बल्कि लंदन में खेला गया। क्योंकि, भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के यहां नहीं खेलते। क़रीब दस साल हो चुके हैं, जब दोनों देशों ने अपने घरेलू मैदान पर आपस में आख़िरी बार टेस्ट मैच खेला था। ये फ़ासला दिखाता है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कितनी कड़वाहट है, कितना अविश्वास है।
बेगाने हुए लोग
भारत और पाकिस्तान को आज़ादी एक साथ ही मिली थी। भारत, ब्रिटिश साम्राज्य का सबसे बड़ा उपनिवेश था। 15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान पर हुकूमते ब्रतानिया ख़त्म हो गई।
आज़ादी से पहले कई महीनों तक मुल्क के बंटवारे को लेकर खींचतान चलती रही थी। आख़िर में विवाद को हिंसक होता देख, ब्रिटेन, भारत को दो हिस्सों में बांटकर आज़ादी देने को राज़ी हो गया। पाकिस्तान के तौर पर एक अलग मुस्लिम देश बना। पाकिस्तान बनाने का मक़सद मुसलमानों की उन चिंताओं को दूर करना था, कि वो आज़ाद भारत में हिंदुओं के बहुमत की वजह से नुक़सान में रहेंगे।
किसी को पक्के तौर पर तो नहीं पता, मगर क़रीब सवा करोड़ लोग भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आए-गए। इस दौरान भयंकर सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। हर समुदाय के लोग पीड़ित भी थे और हमलावर भी।देश के बंटवारे के दौरान मज़हबी फ़साद की वजह से पांच से दस लाख के बीच लोग मारे गए। हज़ारों महिलाओं को दूसरे समुदाय के मर्दों ने अगवा करके उनके साथ बलात्कार और दूसरे ज़ुल्म किए।हिंसा का सबसे ज़्यादा असर पंजाब सूबे पर पड़ा। यहां बरसों से सिख, मुसलमान और हिंदू आपस में मिल-जुलकर रहते आए थे। वो एक ज़बान बोलते थे। उनकी विरासत साझी थी। लेकिन, देश के बंटवारे के बाद ये लोग एक दूसरे के दुश्मन और ख़ून के प्यासे हो गए। पूर्वी पंजाब में रहने वाले मुसलमान, पश्चिमी पंजाब यानी पाकिस्तान भाग रहे थे। वहीं पश्चिमी पंजाब में रहने वाले हिंदू और सिख, पूर्वी पंजाब यानी भारत आने को मजबूर हुए।
बंटवारे के वक़्त जो हिंसा हुई, उसे गृह युद्ध भी नहीं कहा जा सकता। क्योंकि दोनों ही तरफ़ सेनाओं ने मोर्चा नहीं संभाला था। लेकिन ये अपने-आप भड़क उठने वाला फ़साद भी नहीं था। हर समुदाय ने अपने-अपने हथियारबंद गिरोह और सेनाएं बना ली थीं। इनका मक़सद सिर्फ़ एक था, दूसरे मज़हब के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को मारना, उन्हें नुक़सान पहुंचाना।
#70yearsofpartition: घर इस पार, ज़मीन उस पार बंटवारे का ज़हर
बंटवारे ने ऐसा ज़हर घोला है कि सत्तर साल बाद भी आज भारत-पाकिस्तान के रिश्ते उसी की बुनियाद पर तय होते हैं। और भारत-पाकिस्तान के ताल्लुक़ की तासीर ही दक्षिण एशिया का सामरिक माहौल तय करती हैं।
महीनों की क़वायद और तनातनी के बाद 1947 में भारत-पाकिस्तान के बीच जो सरहदें तय हुईं, वो एक पीढ़ी भी नहीं चल सकीं। आज़ादी के 25 सालों के भीतर ही पाकिस्तान को एक और बंटवारे के दर्द से गुज़रना पड़ा। जब अंग्रेज़ों ने देश का बंटवारा किया था, तो पाकिस्तान के दो टुकड़े थे। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच दो हज़ार किलोमीटर का फ़ासला था। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश के रूप में नया देश बन गया। बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में भारत ने भी अपनी फौज की मदद दी थी।
बंटवारे के बाद जो मुद्दे अनसुलझे रह गए थे उनमें कश्मीर का मसला भी था। हिमालय की वादियों में स्थित रियासत-ए-कश्मीर की ज़्यादातर आबादी मुस्लिम थी। लेकिन कश्मीर के राजा हिंदू थे। कश्मीर के राजा ने अपनी रियासत को भारत में विलय करने का फ़ैसला किया। नतीजा ये हुआ कि बंटवारे के कुछ महीनों के भीतर ही, भारत और पाकिस्तान की सेनाएं, कश्मीर के मोर्चे पर आमने-सामने थीं। आज भी कश्मीर का मसला अनसुलझा है।कश्मीर का विवाद बहुत पेचीदा है। बहुत से कश्मीरी आज़ादी चाहते हैं। वहीं कुछ पाकिस्तान के साथ रहना चाहते हैं, तो, कुछ भारत को ही अपना देश मानते हैं। हिंद- पाक के दरमियान तल्ख़ी की सबसे बड़ी वजह कश्मीर ही है।बॉलीवुड की फिल्मों और कलाकारों के प्रति पाकिस्तान में भी दीवानगी देखने को मिलती है। इसी तरह पाकिस्तान के टीवी सीरियल भारत में बहुत पसंद किए जाते हैं। फिर भी दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंध बेहद कमज़ोर हैं।जब भी दोनों देशों में तनातनी बढ़ती है, तो इसका असर रिश्तों के हर पहलू पर पड़ता है। कला का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहता।
दोनों देशों के लोगों को अक्सर ये पता नहीं होता कि सरहद के उस पार क्या हो रहा है। हाल ये है कि भारत और पाकिस्तान के बड़े अख़बारों के संवाददाता दूसरे देश की राजधानी तक में नहीं हैं।
भारत और पाकिस्तान के आम लोगों के लिए एक-दूसरे के देश जाना भी आसान नहीं है। दोनों देशों में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके परिजन सरहद के उस पार रहते हैं। इनसे मिलने जाने के लिए भी तमाम औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। दोनों देशों के बीच गिनी-चुनी उड़ानें हैं। दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तो सीधी फ्लाइट भी नहीं है। इतनी कम उड़ानें होने के बावजूद, सड़क के रास्ते हवाई रास्ते से भारत या पाकिस्तान जाना ज़्यादा आसान है। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबी साझा सरहद है। इसके बावजूद सड़क के ज़रिए आना-जाना बड़ी चुनौती है।पाकिस्तान में सेना और इसकी ख़ुफिया एजेंसी बहुत ताक़तवर हैं। पाकिस्तान में लंबे वक़्त तक फौजी हुकूमत रही है। पड़ोस में दुश्मन देश होने के ख़याल की वजह से पाकिस्तान में फौज को बहुत अहमियत दी जाती रही है। इसी वजह से पाकिस्तान में जम्हूरियत कमज़ोर हैं।Interesting News inextlive from Interesting News Desk