पद्मावती विवाद : जानें सेंसर बोर्ड कब और कहां देखता है फिल्म, कैसे देता है सर्टिफिकेट
पहले भेजना पड़ता है आवेदनफिल्म बनाने के बाद निर्माताओं को सबसे पहले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सेंसर बोर्ड के पास एक आवेदन भेजना पड़ता है। इसके बाद सेंसर बोर्ड के कुछ सदस्य फिल्म को अकेले देखते हैं। बोर्ड की अनुमति के बिना निर्माताओं को यह अधिकार नहीं कि वह फिल्म कहीं दिखा सकें। पद्मावती को लेकर भंसाली ने यहीं गलती कर दी। उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर पद्मावती की स्पेशल स्क्रीनिंग रख दी जिससे सेंसर बोर्ड प्रमुख प्रसून जोशी नाराज हो गए।
दूसरी बार फिल्म देखने के बाद अगर किसी सीन पर आपत्ति होती है, तो उसे कट किया जाता है। ऐसे में निर्माता के पास मौका होता है कि बताए गए कट लगवाकर फिल्म के लिए वह सर्टिफिकेट ले सकता है, जो वह चाहता है। इसमें सेंसर बोर्ड को कोई आपत्ति नहीं होती। इसके बावजूद अगर फिल्म प्रमाणन को लेकर कहीं दिक्कत आती है तो निर्माता 'फिल्म सर्टिकेशन एप्लेट ट्रिब्यूनल (एफसीएटी) में जाकर अपील कर सकता है। यह कमेटी दिल्ली में बैठती है जिसमें रिटायर्ड जजों को शामिल किया जाता है। वहां पक्ष-विपक्ष की बात सुनने के बाद एफसीएटी जो फैसला देती है उसे निर्माताओं को मानना पड़ता है। अगर फिर भी निर्माता फिल्म सर्टिफिकेट से खुश नहीं होता तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।