Paatal Lok Review: वेब सीरीज 'पाताल लोक' में जयदीप अहलावत का बजा डंका, देखकर आएगी सेक्रेड गेम्स की याद
Paatal Lok Web Series Review: कहानी मशहूर जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल की स्टोरी द स्टोरी ऑफ़ माय असैंसिंस पर आधारित है। मीडिया का एक लोभी पत्रकार किस हद तरह जा सकता है। फेक न्यूज किस तरह एक आम इंसान की जिन्दगी को प्रभावित कर सकता है और इन सबके बीच पुलिस प्रशासन की राजनीति क्या रूप ले सकती है। 9 एपिसोड्स में इसे खूबसूरती से दिखाया गया है। थ्रिलर जॉनर में एक एक्सपेरिमेंटल कोशिश है. धरती लोक ही क्यों पाताल लोक है और स्वर्ग लोक भी। इसे जानने के लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।
शो का नाम : पाताल लोक
कलाकार : जयदीप अहलावत, नीरज काबी, अभिषेक बनर्जी, श्रीधर, निहारिका लायरा दत्त, आकाश खुराना, विपिन शर्मा, राजेश शर्मा, जगजीत संधू, गुल पनाग और अनूप जलोटा
क्रियेटर और लेखक : सुदीप शर्मा
निर्देशक : अविनाश अरुण, प्रोसित रॉय
निर्माता : अनुष्का शर्मा
वेब चैनल : अमेजॉन प्राइम वीडियो
एपिसोड्स : 9
रेटिंग : 3.5 STAR
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क्या है कहानी
कहानी हाथीराम चौधरी ( जयदीप) की है। वह पुलिस में है। ईमानदार है। बेचारे को मगर कभी कोई बड़ा केस इन्विसटीगेट करने का सिंगल चांस नहीं मिला है। ऐसे में किस्मत मेहरबान होती है। उसको एक हाई प्रोफाइल केस सुलझाने की जिम्मेदारी मिलती है। मगर ईमानदार इंसान को सबकुछ आसानी से मिल जाये वह कैसे होगा, केस एक हाई प्रोफाइल पत्रकार संदीप (नीरज काबी ) की हत्या की साजिश को लेकर होती है। अब वह ह्त्या की साजिश थी भी कि नहीं। उसकी गुत्थी सुलझाते-सुलझाते खुद हाथीराम जाल में फंसता जाता है। कहानी दिल्ली से शुरू होकर चित्रकूट व कई इलाकों तक जाती है और एक-एक करके रावण के अदंर राम और राम के अंदर रावण नजर आता है। चूंकि कहानी तरुण तेजपाल की जिंदगी की वास्तविक कहानी से मेल खाती है, सो आप शायद कुछ हद तक वाकिफ भी होते हैं। मगर निर्देशक प्रोसित और अविनाश ने 9 एपिसोड्स में सस्पेंस को बरक़रार रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। सुदीप ने कहानी में इतने लेयर्स डाले हैं कि एक के बाद एक खुलते हुए आप कहानी से जुड़ते जाते हैं। पाताल लोक एक सम्पूर्ण रूप से सोशल थ्रिलर है।
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क्या है अच्छा
सुदीप शर्मा ने मेटाफर के रूप में कलाकारों की जो संरचना की है, वह जबरदस्त है, बात-बात में ओरिजिनल संदर्भों को वहाट्सअप यूनिवर्सिटी के संदेशों से जोड़ना कहानी को और रोचक बनाता है। निर्देशन कहानी के लिहाज से परफेक्ट है। अनुष्का शर्मा की तारीफ़ होनी चाहिए कि उन्होंने इस तरह के सब्जेक्ट को प्रोमोट किया है। एक अलग तरह की स्टोरी टेलिंग है यहां एक नया प्रयोग नजर आता है।
क्या है बुरा
इसके बावजूद कि कहानी के कई दिलचस्प ट्विस्ट और टर्न हैं। कुछ दृश्य बेमतलब भी नजर आए हैं। कहानी 9 एपिसोड्स की तुलना में कम हो सकती थी।
अभिनय
जयदीप अहलावत जैसे उम्दा कलाकार के लिए इससे बेस्ट टाइम और कुछ नहीं हो सकता। इस शो में उन्हें वन मैन आर्मी कहा जा सकता है। थियेटर में रिलीज होती तो जंजीर वाले अमिताभ बच्चन की याद आ जाती। बन्दे ने क्या काम किया है। इमोशनल दृश्य हो तो, पुलिस ऑफिसर की भूमिका में, उनके एक्सप्रेशंस कमाल का रहे हैं। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के बाद यह उनके लिए मील का पत्थर साबित होगी। नीरज काबी का किरदार दमदार था। मगर उनके अभिनय में स्टीरियोपन आ गया है। वह अधिक नहीं लुभाते हैं। श्रीधर दुबे ने छोटी भूमिका निभाई है, लेकिन वह कहानी को एक बड़ा ट्विस्ट देते हैं और उन्होंने छोटी भूमिका में भी प्रभावित किया है। अभिषेक बनर्जी के हिस्से कोई संवाद नहीं हैं, लेकिन उन्होंने बिना संवाद के ही किस तरह सशक्त किरदार निभाया है। एक्टिंग स्टूडेंट्स के लिए यह अध्यन का विषय हो सकता है कि बिना संवाद के अभिनय कैसे किया जा सकता है। निहारिका लायरा ने शानदार परफॉर्मेंस दिया है, वह इस शो की जान हैं। स्वास्तिका मुख़र्जी के हिस्से जो भी आया है। उन्होंने उसे अच्छे से निभाया है।
वर्डिक्ट
हिंदी वेब शोज के फैन्स के लिए नया प्रयोग है, सो दर्शक देखना पसंद करेंगे, थ्रिलर पसंद करने वालों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है। सेक्रेड गेम्स के टक्कर का साबित होगा।
Review by: अनु वर्मा