नोबेल शांति पुरस्कार ओपीसीडब्ल्यू को
ओपीसीडब्लू यानी 'ऑगनाइज़ेशन फ़ॉर प्रोहिबिशन ऑफ़ केमिकल वेपंस' दुनिया भर में रासायनिक हथियारों को नष्ट करने और उनकी रोकथाम के लिए काम करती है.फ़िलहाल ये संस्था सीरिया में हथियारों को ख़त्म किए जाने का काम देख रही है.नोबेल शांति समिति ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा, ''ओपीसीडब्लू का काम शानदार रहा है.''शांति पुरस्कार की दौड़ में पाकिस्तानी में महिलाओं की शिक्षा के लिए अभियान चलाने वाली 16 वर्षीय स्कूल छात्रा मलाला यूसुफ़ज़ई भी शामिल थीं. नॉर्वे की राजधानी ऑस्लो में शुक्रवार को भारतीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे इसकी घोषणा की गई.मलाला के साथ-साथ बलात्कार की शिकार महिलाओं की मदद के लिए अभियान चलाने वाले कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे इस पुरस्कार की दौड़ में आगे माने जा रहे थे.ओपीसीडब्लू संस्था को एक गोल्ड मेडल और साढ़े 12 लाख डॉलर यानी कि लगभग 75 लाख रुपए इनाम के तौर पर दिया जाएगा.
इस पुरस्कार के लिए सबकी निगाहें मलाला पर थीं, पिछले साल यानी 2012 में नौ अक्तूबर को तालिबान ने मलाला पर स्वात घाटी में हमला किया था जब वो अपने स्कूल से घर लौट रहीं थीं. वो बुरी तरह ज़ख़्मी हो गईं थीं और इलाज के लिए उन्होंने लंदन ले जाया गया था. फ़िलहाल वो अपने परिवार के साथ लंदन में रहती हैं और वहीं पढ़ाई कर रही हैं.इसी गुरुवार को उन्होंने यूरोपीय संघ का 65 हज़ार डॉलर का सखारोव पुरस्कार जीता था, जिसे यूरोप में मानवाधिकारों का सर्वोच्च सम्मान समझा जाता है.रिकॉर्ड नामांकन
नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में शामिल मिस्टर मुकवेगे, पहले भी इस सूची में शामिल किए जा चुके हैं. उन्होंने कांगों में विद्रोहियों और सैनिकों द्वारा बलात्कार की शिकार दसियों हज़ार महिलाओं की मदद के लिए एक अस्पताल और एक फ़ाउंडेशन स्थापित किया है.इससे पहले नोबेल शांति पुरस्कार दक्षिण अफ़्रीक़ा में नस्लवाद विरोधी आंदोलन के जनक नेल्सन मंडेला, अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, दलाई लामा और म्यांमार में विपक्ष की नेता आंग सान सू ची को मिल चुका है.वर्ष 2012 में ये पुरस्कार यूरोपीय यूनियन को यूरोप में शांति और मेलमिलाप के प्रयासों, लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए दिया गया था.