आज ही के दिन टीम इंडिया ने केन्या को वर्ल्डकप फाइनल में जाने से रोका था
कानपुर। 20 मार्च 2003 का दिन कोई नहीं भूल सकता। यह वो दिन था, जब पहली बार वर्ल्डकप फाइनल खेलने का सपना देख रही केन्याई टीम का दिल भारतीय टीम ने तोड़ दिया था। फिर भी केन्या जैसी कमजोर टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर बड़ी-बड़ी टीमों को चौंका दिया था। इस विश्वकप का आयोजन साउथ अफ्रीका, जिंबाब्वे और केन्या में आयोजित किया गया था। चूंकि होस्ट कंट्री केन्या भी थी, ऐसे में केन्याई क्रिकेट टीम ने अपने क्रिकेट फैंस को निराश न करते हुए सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। केन्या ने प्रोटीज, कीवी, पाकिस्तान, जिंबाब्वे और विंडीज जैसी बड़ी टीमों को पीछे छोड़ते हुए सेमीफाइनल में भारत का सामना किया।
पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची थी केन्याखैर वो दिन आया, जिसका इंतजार केन्या वालों ने सालों तक किया। 20 मार्च को डरबन में भारत बनाम केन्या के बीच वर्ल्डकप सेमीफाइनल खेला गया। इस मैच में टीम इंडिया की कमान सौरव गांगुली के हाथों में थी। दादा ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग का निर्णय लिया। भारत की तरफ से वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर ओपनिंग करने आए। दोनों ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई। हालांकि भारत को पहला झटका वीरू के रूप में लगा। सहवाग 33 रन बनाकर पवेलियन लौट गए मगर सचिन एक छोर संभाले रहे। तेंदुलकर धीरे-धीरे अपने अपने शतक की ओर बढ़ रहे थे लेकिन केन्याई गेंदबाज टिकोलो ने 83 रन पर सचिन को आउट कर भारत को दूसरा झटका दिया। तीसरे नंबर पर बैटिंग करने आए गांगुली ने कप्तानी पारी खेली और केन्याई गेंदबाजों की खूब पिटाई करते रहे। दूसरे छोर पर भारत के विकेट गिर रहे थे मगर दादा ने क्रीज पर ऐसा पांव जमाया कि कोई गेंदबाज उन्हें आउट नहीं कर सका। गांगुली 111 रन बनाकर नाबाद लौटे और भारत ने केन्या को पहली बार सेमीफाइनल जीतने के लिए 271 रन का लक्ष्य दिया।
179 रन पर ढेर हुई केन्याई टीमभारत द्वारा मिले 271 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी केन्याई टीम की शुरुआत ही खराब रही। 36 रन पर भारत के चार विकेट गिर गए। वहीं 63 रन पर आधी टीम पवेलियन लौट गई। सभी को लगा कि केन्या का फाइनल में जाने का सपना टूट जाएगा और हुआ भी ऐसा ही। पूरी टीम 179 रन पर सिमट गई। केन्या की तरफ से सबसे ज्यादा 56 रन टिकोलो ने बनाए। हालांकि उनका साथ कोई नहीं दे सका।भारत ने 91 रनों से जीता मैचकेन्या को सेमीफाइनल में 91 रनों से हराकर भारतीय टीम फाइनल में पहुंची। जहां गांगुली की टीम का सामना कंगारुओं से हुआ। भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया यह मुकाबला काफी रोचक रहा। हालांकि खिताबी मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने 140 रन की पारी खेलकर टीम का स्कोर 350 के पार पहुंचाया। अब भारत को जीत के लिए 360 रन चाहिए थे मगर पूरी टीम 234 रन सिमट गई। इसी के साथ भारत फाइनल मुकाबला 125 रन से हार गया।