बर्थ डे स्पेशल: गजल के शहंशाह जगजीत सिंह ने इसलिए छोड़ दिया फिल्मों में गाना
कई भाषाओं में गा चुके हैं8 फरवरी, 1941 में जन्में जगजीत सिंह हिंदी, उर्दू, पंजाबी और भोजपुरी भाषा में गाया करते थे। उनकी गायिकी को भारत सरकार ने 2003 में सबसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से नवाजा। जगजीत द्वारा 'वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी' और 'चिठ्ठी न कोई संदेश' जैसी गज़लें गाई गई हैं जो निकली तो उनकी जबान से थीं पर सीधे जा के लोगों के दिलों में उतरी। अपनी आवाज को हमारे बीच जिंदा रख कर खुद वो 10 अक्टूबर 2011 में दुनिया से रुख्सत हो गए।
जन्म के बाद परिवार ने उनका नाम जगमोहन रखा था जिसे बाद में बदल कर पारिवारिक ज्योतिष की सहमती से जगजीत कर दिया गया। जगजीत 1965 में मुंबई आ गए थे। मुंबई आने के बाद उन्हें गज़ल गायिका चित्रा मिली जिनकी आवाज ने जगजीत को दीवाना कर दिया था। साल 1969 में दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का फैसला ले लिया और शादी कर ली।