गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों की मानें तो इस दिन संपूर्ण भारत वर्ष में गुरु की पूजा का महत्व है। दरअसल चारों वेद के प्रथम व्याख्याता व्यास ऋषि हैं जिन्होंने हमें वेदों का ज्ञान दिया। उनकी स्मृति में यह पर्व सदियों से मनाया जा रहा है क्योंकि वह हमारे आदिगुरु हैं।


यही वजह है कि पूर्णिमा में ऋषि व्‌यास की पूजा करने का विधान है। इसीलिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन अपने गुरुओं को व्यास जी का अंश मानकर शिष्यों को उनकी पूजा करनी चाहिए।गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहा जाता है। हिंदू मान्यता के लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथी पावनी मां गंगा का स्नान और दान भी करते हैं। इस दिन आम का दान करने का महत्व है। इसी के साथ चने की दाल का पराठा और आम खाने की भी परंपरा है। कैसे पूजें गुरु को


शास्त्रों के अनुसार गुरु की पूजा प्रात: काल स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात शुद्ध वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। गुरु के पास श्रद्धा पूर्वक जाएं और उनको ऊंचे आसन पर बिठाकर के पुष्प माला पहनानी चाहिए। इसके बाद वस्त्र, फल, फूल, माला अर्पण करके उन्हें उपहार भेंट करना चाहिए। फिर गुरु का आशीर्वाद ले क्योंकि गुरु के आशीष से ही विद्या प्राप्त होती है। गुरु पूर्णिमा 2019 : गुरु के साथ करें मां की भी पूजा, जानें इसका महत्वगुरु का अंगूठा धोकर पीने की परंपरा

आज भी भारत में गुरु पूर्णिमा पर कई आश्रमों में में आज भी गुरु का अंगूठा धो करके पीने की प्रथा है। कई मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मंदिर के महंत से दीक्षा लेने वाले शिशु को दान देते हैं। उनके पैर का अंगूठा धो कर पीते हैं। ऐसी मान्यता है कि गुरु के पैर का दाहिना अंगूठा भगवान विष्णु के पद का प्रतीक होता है।पंडित दीपक पांडेय

Posted By: Vandana Sharma