Movie Review : जानें राज कुमार राव की फिल्म 'ओमरता' देखने या न देखने की बडी़ वजहें
कहानी आतंकी ओमार शेख के स्कॉलर से मिलिटेंट बनने की कहानी है ये फिल्म। समीक्षा
इस बार हंसल मेहता बुरी तरह से चूक गए। ह्यूमन स्टोरीज और उनके साइकोलॉजिकल बेहविरल प्रोफाइल को फिल्मी कहानियों के तौर आपके सामने परोसने वाले हंसल को इस बार न जाने क्या हो गया। उन्होंने ये फिल्म कुछ इस तरह से बनाई है कि फिल्म किसी स्तर से फिल्म ही नहीं लगती। फिल्म एक ऐसा डॉक्यूड्रामा लगती है जिसकी कहानी सीधे विकिपीडिया से उठा ली गई हो। ओमर का किरदार बड़े ही सुपरफिशल तरीके से लिखा गया है। फिल्म सिर्फ घटनाओं का रूपांतरण ही है। फिल्म के स्क्रीनप्ले में गहराई नहीं है और पर्सपेक्टिव की भी कमी है। ओमर के अंतर्मन को ये फिल्म टच ही नहीं करती। वो कब, कहां और कैसे का तो जवाब देती है पर क्यों का कोई जवाब नहीं देती जिस वजह से फिल्म डिस्कवरी चैनल की एक्सीटेंडेड डॉक्युमेंट्री बन कर रह जाती है। रिसर्च बेहतर होनि चाहिए थी। फिल्म की एडिटिंग भी काफी अतरंगी है। रियल फुटेज बार-बार बीच मे आके फिल्म से ध्यान अलग कर देती है।
कुलमिलाकर डॉक्यूमेंटरी की तरह इस फिल्म में अच्छी डाक्यूमेंट्री होने के तो सारे गुण हैं पर ऐसी फिल्म एक छिछला एफर्ट है। अगर फील्म थोड़ी लॉजिकली एडिट होती और रिसर्च बेहतर होती तो यकीनन ये इस साल की बेस्ट फिल्मों में से एक होती। फिर भी राजकुमार राव के सीनसेयर एफर्ट के लिए एक बार देख सकते हैं। रेटिंग : 3 स्टार Yohaann and Janet अमिताभ बच्चन के वो 5 बूढे़ किरदार जिनमें बने जिंदादिली की मिसाल, '102 नॉट आउट' रिलीज होगी आजनेशनल फिल्म अवार्ड के दौरान श्रीदेवी को याद कर नम हो गईं बोनी कपूर की आंखें