Omar Abdullah Birthday: 29 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बनने वाले सबसे युवा राजनेता, कुछ ऐसा है वैली से सेंटर तक उमर अब्दुल्ला का सफर
कानपुर। जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आज किसी परिचय के मोहताज नही है। मिड डे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका जन्म 10 मार्च, 1970 को ब्रिटेन के मोली अब्दुल्ला, यूनाइटेड किंगडम के रोशफोर्ड, एसेक्स में हुआ था। वह शेख अब्दुल्ला के पोते हैं, जिन्हें शेर-ए-कश्मीर के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल और फिर हिमाचल प्रदेश के सनावर के लारेंस स्कूल से की। उसके बाद में वे अपनी उच्च शिक्षा पूरी करने के लिए स्कॉटलैंड चले गए। उन्होंने स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय से काॅमर्स में स्नाताक में किया। इसके बाद उसी विश्वविद्यालय से उन्होंने एमबीए की पढ़ाई भी पूरी की।
उमर अब्दुल्ला ने पायल नाथ से की शादीउमर अब्दुल्ला ने 1994 में, पायल नाथ से शादी की। इन्हें दो बेटे जमीर और जहीर हुए। हालांकि बाद में इस कपल का रिश्ता टूट गया। उमर अब्दुल्ला ने 2011 में घोषणा की कि वह और उनकी पत्नी अलग हो गए हैं। उमर अब्दुल्ला राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर अपने पिता के नक्शेकदम पर चले। इस पार्टी की स्थापना 1932 में उनके बाबा शेख अब्दुल्ला ने की थी। इसे कश्मीर का पहला राजनीतिक दल माना जाता है।
राजनीतिक करियर संघर्षों का सामनाराजनीतिक रूप से संपन्न परिवार में पैदा होने के बावजूद, उमर का अपने राजनीतिक करियर के दौरान संघर्षों का सामना करना पड़ा। नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के बाद, उमर ने 1998 में श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता हासिल की। उस समय यह नेशनल कॉन्फ्रेंस भारतीय जनता पार्टी के साथ संबद्ध था। हालांकि, 13 महीने बाद, 1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पर एक वोट से बाहर हो गई थी। इससे उमर अब्दुल्ला को अपना पद त्यागना पड़ा
इसके बाद वर्ष 2001 में, उमर अब्दुल्ला को उसी सरकार में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, 2002 में, उनकी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 2002 की गुजरात हिंसा के बाद बीजेपी से नाता तोड़ लिया। उमर को कथित हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद पद से हटना पड़ा। हालांकि इसी साल उमर को नेशनल कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया था।
केंद्र में राजनीतिक करियर की अच्छी शुरुआतहालांकि उमर ने केंद्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत काफी सफलतापूर्वक की, लेकिन राज्य स्तर पर उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत खराब रही। उमर ने जम्मू और कश्मीर में चुनाव लड़ा और प्रतिद्वंद्वी पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अपनी सीट हार गए। चुनाव के दौरान पार्टी ने गठबंधन की सरकार बनाकर राज्य में कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन किया था। हालांकि, 2004 के आम चुनावों में उमर लोकसभा में लौट आए।
उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के समर्थन से 2008 के राज्य विधानसभा चुनावों में अपना निर्वाचन क्षेत्र फिर से हासिल किया। उन्होंने चुनाव के दौरान 28 सीटें जीतीं और 2009 में नई सरकार का गठन किया। चुनाव जीतने के समय वह 38 वर्ष के थे। इस प्रकार उन्हें जम्मू और कश्मीर के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन गए। राज्य विधानसभा चुनाव में जीत के बाद, उमर अब्दुल्ला ने जेकेएनसी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह उनके पिता ने ले ली। हालांकि, उमर को जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान बहुत उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा।
भारत और पाकिस्तान की कोशिश कीउमर अब्दुल्ला ने विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) का विरोध किया था जो सेना को विशेष अधिकार देता है। इस अधिनियम ने सशस्त्र बलों को उनकी शक्ति के अत्यधिक उपयोग की सुविधा प्रदान की। उन्होंने बार-बार केंद्र से सशस्त्र बलों की अत्यधिक शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए कहा था। उमर अब्दुल्ला ने भारतीय संघ के भीतर जम्मू और कश्मीर की उपस्थिति के लिए अब्दुल्ला परिवार के लंबे समय तक समर्थन को जारी रखा। उन्होंने कश्मीर क्षेत्र के संबंध में भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद को समाप्त करने के लिए कई तरीके तलाशे।राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ मुलाकात कीउमर ने 2006 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ मुलाकात की। उमर के इस कदम को जम्मू और कश्मीर और पाकिस्तान सरकार के एक मुख्यधारा के राजनेता के बीच अपनी तरह की पहली बैठक के रूप में माना गया था। इस प्रकार उन्होंने दिखाया कि वह इस समस्या का हल खोजने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पाकिस्तान से लौटने पर हजारों कश्मीरियों ने एक शानदार स्वागत समारोह आयोजित किया।
जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों पर छाएउमर अब्दुल्ला 2008 में इंटरनेट सनसनी बन गए जब उन्होंने 2008 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाषण दिया। उनके रौशन भाषण ने प्रशंसा अर्जित की और पूरे देश में बहुत सारे प्रशंसकों को जीत लिया। इससे उन्हें 2008 के राज्य विधानसभा चुनाव जीतने में भी मदद मिली। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अधिक से अधिक सीटें जीतीं और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई। उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों पर छाए हैं। कश्मीरियों का मानना है कि वह राज्य की उग्रवाद और हिंसा का समाधान ला सकते हैं जो 1989 के बाद से सीमा पार आतंकवाद के कारण हुआ है।