वि‍नाशकारी तूफान ओखी तम‍िलनाडु लक्षद्वीप और केरल में अपना रौद्र द‍िखाने के बाद गुजरात और महाराष्‍ट्र को प्रभाव‍ित करने वाला है। ओखी को लेकर लोग काफी सहमे हैं। शासन से लेकर प्रशासन सभी ने जहां इससे न‍िपटने के ल‍िए पहले पूरी तैयार करली है। वहीं हाल ही में इस तूफान को लेकर गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी ने एक बड़ा दावा क‍िया है। जानें क्‍या है वो दावा...


मानसूनी हवाओं की खोजसिंधु घाटी सभ्यता से ही यानी आज से करीब 4500 साल पहले भी भारतीयों को मानसूनी हवाओं की दिशा का ज्ञान था। इन हवाओं की मदद से भारतीय समुद्री यात्राएं भी किया करते थे। गोवा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियनोग्राफी (एनआइओ) ने यह दावा किया है। अभी तक माना जाता था कि ग्रीस के नाविक और व्यापारी हिप्पालस ने ईसा पूर्व पहली सदी के दौरान मानसूनी हवाओं की खोज की थी। समुद्री लहरों का जिक्र मिलताऋग्वेद में भी मानसूनी हवाओं, जहाज और समुद्री लहरों का जिक्र मिलता है। सिंधु घाटी और मेसोपोटामिया सभ्यता के बीच प्राचीन काल से ही समुद्र के रास्ते व्यापार होता था। शोध में सामने आया है कि ओडिशा के नाविक उत्तर पूर्वी मानसून के समय समुद्री यात्रा शुरू करते और दक्षिण पश्चिमी मानसून आने के साथ ही वापस लौट आते थे।
सिर्फ ओखी नहीं यहां वरदा ने भी ढाया जबरदस्त कहर, दिसंबर में तूफानों को लेकर बढ़ने लगा डर

Posted By: Shweta Mishra