सार्वजनिक क्षेत्र की नौ बैंकों को सरकारी खजाने से मिलेंगे 6,990 करोड़ रुपये
राशि का जुगाड़ कैसे किया जाएगा
पूंजी जरूरत के वैश्विक बेसिल-3 नियमों के मुताबिक भारतीय बैंकों को 5.25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि की जरूरत है. वैसे ताजा फैसले के बावजूद सरकार इस बात को लेकर अंधेरे में है कि इतनी बड़ी राशि का जुगाड़ कैसे किया जाएगा. बहरहाल, सबसे ज्यादा 2,970 करोड़ रुपये की राशि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को मिली है. एसबीआई के बाद दूसरे नंबर बैंक ऑफ बड़ौदा है, जिसे 1,260 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 870 करोड़ और केनरा बैंक को 570 करोड़ रुपये दिए गए हैं.
रकम देने का तरीका चेंज कर दिया
लगातार पिछले पांच वर्षों से केंद्र सरकार सरकारी बैंकों की पूंजी जरूरत पूरा करने के लिए बजटीय मदद दे रही है. लेकिन इस बार मोदी सरकार ने बैंकों को रकम देने का तरीका चेंज कर दिया है. अब राशि बैंकों के पिछले तीन वर्षों के प्रदर्शन को केंद्र में रखकर वित्तीय मदद के तहत दी जाने वाली राशि का फैसला किया गया है. इसके तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों का औसत संपत्तियों पर रिटर्न को आधार बनाया गया है.
राशि को विभाजित करने का फैसला किया
इसके सबके साथ ही यह भी देखा गया है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इन बैंकों का रिटर्न ऑन इक्विटी क्या है. इन दोनों तथ्यों के आधार पर बैंकों के बीच बजटीय राशि को विभाजित करने का फैसला किया गया है. वहीं पिछले हफ्ते ही प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के सरकारी बैंकों की स्थिति पर एक तरह से सरकार को चेतावनी दी है. हालांकि अभी तो मोदी के इस प्लान में बैंकों ने भी सहमति जतायी है.
इसमें कहा गया है कि बेसिल-3 मानकों के मुताबिक इन बैंकों को वर्ष 2019 तक 5.3 लाख करोड़ रुपये की राशि चाहिए. अभी तक सरकार कोई ठोस रोडमैप नहीं बना पाई है कि इसका इंतजाम किस तरह से होगा. बेसिल-3 नियम वैश्विक स्तर पर तैयार किए गए हैं. इसके तहत बैंकों को एक निश्चित फंड बनाना है, जिसका इस्तेमाल कभी संकट आने पर किया जाएगा. इसका मकसद वर्ष 2007-08 में अमेरिका जैसा संकट पैदा न होना देना है, क्योंकि उस साल अमेरिका के सामने एक बड़ा सकंट आया था.Hindi News from Business News Desk