कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए देश में बड़े स्तर पर वैज्ञानिक और रिसर्चर लगे हैं। इस दाैरान पंजाब में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी एलपीयू के रिसर्चर ने एक क्लाउड-बेस्ड वेब इंटरफेस डेवलप किया। इससे सीटी स्कैन या एक्स-रे जैसी रेडियोलॉजी के जरिए कोरोना का तुरंत पता लगाया जा सकता है।

नई दिल्ली (पीटीआई)। कोरोना वायरस संकट और लाॅकडाउन के बीच रिसचर्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा संचालित एक क्लाउड-बेस्ड वेब इंटरफेस डेवलप किया है। कहा जा रहा है कि इससे सीटी स्कैन या एक्स-रे जैसी रेडियोलॉजी रिपोर्ट से कोरोना वायरस का जल्दी पता लगा सकते हैं। रिसर्चर ने कहा कि इस सिस्टम के इनेबल होने से देश के दूरदराज के गांवों में डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारियों को पेशेंट की कोरोना वायरस की स्टेटस रिपोर्ट तुरंत मिल सकती है।

वेल ट्रेंड टेक्नीशियन की आवश्यकता

इस संबंध में पंजाब में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के रिसर्चर के अनुसार, सीटी स्कैन और एक्स-रे की स्टडी करने वाली एआई प्रौद्योगिकियों को कोरोना वायरस महामारी से निपटने के वैश्विक प्रयासों के हिस्से के रूप में तैनात किया जा रहा है। हालांकि इन्हें एडाॅप्ट करने में एक सबसे बड़ी प्राॅब्लम सॉफ्टवेयर का सपोर्ट करने के लिए एक हाई टेक्निकल वाले डिवाइस या कंप्यूटर की जरूरत और इसे ऑपरेट करने के लिए एक वेल ट्रेंड टेक्नीशियन की आवश्यकता है।

कम से कम लागत पर उपलब्ध हो सके

इस संबंध में एलपीयू के बीटेक के छात्र प्रवीण कुमार दास ने कहा, हमारे हेल्थकेयर सिस्टम में संसाधनों की अनुपलब्धता से खासकर देश के दूर-दराज के इलाकों में कोरोना वायरस का पता लगाने और इलाज में बड़ी बाधा हो रही है। ऐसे में हम एक क्लाउड बेस्ड सिस्टम का निर्माण करना चाहते थे, जो हाई क्वालिटी के रिजल्ट को सुनिश्चित करते हुए देश में अधिकांश जगहों पर कम से कम लागत पर उपलब्ध हो सके। डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोरोना वायरस में सांस संबंधी बीमारी, वायरल निमोनिया जैसे लक्षण दिखते हैं। इसके बाद परिणामस्वरूप बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ होती है।

Posted By: Shweta Mishra