आम तौर पर दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए लैक्टोमीटर प्रयोग किया जाता है या फिर रसायनों की सहायता से इसे परखा जा सकता है।


लेकिन रसायनों का इस्तेमाल आम लोग नहीं कर सकते और लैक्टोमीटर से सिर्फ़ दूध में पानी की मात्रा का पता चल सकता है, इससे सिंथेटिक दूध को नहीं पकड़ा जा सकता है।दूध की इस मिलावट से सेना को बचाने के लिए लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक 1995 में एक तकनीक का आविष्कार किया था।लेकिन अब इस तकनीक को पेटेंट करवा कर मुंबई की एक कंपनी पर्ल कॉरपोरेशन ने विकसित किया है और 'टेस्ट ओ मिल्क' नामक दूध जांचने की किट बनाई है।इस किट को विकसित करने वाले द्वारकानाथ राठी कहते हैं, "ये तकनीक सेना के पास काफ़ी समय से थी और हमें इसकी जानकारी हमारे एक रिश्तेदार से मिली जो सेना से संबंद्ध थे।"
वो आगे कहते हैं, "ऐसे किट बाज़ार में कई हैं लेकिन उनकी तकनीक पर भरोसा नहीं किया जा सकता था लेकिन डीआरडीओ के नाम से विश्वसनीयता आती है।"इस प्रोडक्ट के बारे में पूछ गए सवाल पर मदर डेयरी को-ऑपरेटिव की ओर से जवाब मिला, "हमारे पास दूध जांचने के अपने कड़े नियम व लैब्स हैं, ऐसे में हमें किसी किट पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं।"


वहीं मुंबई में दूध की मार्केटिंग से जुड़े नरसिंह्मा कहते हैं, "हम इस किट को ज़रूर इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास आने वाला दूध 50 विभिन्न डेयरियों से आता है और ऐसे में सभी नमूनों को जांचने में यह कारगर होगा।"फ़िलहाल दूध की गुणवत्ता को जांचने वाली इस किट ने 'डीआरडीओ' के सभी टेस्ट पास कर लिए हैं लेकिन दूध उत्पादकों और मिलावट करने वालों से इसके कड़े विरोध को देखते हुए निर्माता कंपनी सोच समझ कर इसका प्रचार करने वाली है।निर्माता कंपनी के मुताबिक़ बाज़ार में यह किट 1000 रुपए में उपलब्ध कराई जाएगी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh