अपने ही सेक्स पार्टनर को खा जाती हैं ये
लेकिन प्रकृति का अजूबा देखिए, नर मकड़े को ऐसे ख़तरे और अकाल मौत से बचाने के लिए प्रकृति ने ख़ास गुण भी दिए हैं.दरअसल मकड़ा सुगंध से पता लगा लेता है कि मादा भूखी है या नहीं. मादा की त्वचा से निकले रसायन (फ़ेरोमोन्स) की सुगंध के आधार पर नर कीड़े को भूख का अंदाजा हो जाता है.शायद यही वजह है कि नर कीड़े शिकार होने से बच जाते हैं. हालाँकि तथ्य यह भी है कि वेस्टर्न ब्लैक विडो प्रजाति की मादा मकड़ी केवल 2 फ़ीसदी मौकों पर ही अपने सेक्स पार्टनर का शिकार करती है.ये पहले से मालूम तथ्य था कि ब्लैक विडो प्रजाति के नर कीड़े उसी मकड़ी के साथ अपना संबंध बनाते थे जिसका पेट भरा हुआ होता था.लेकिन उन्हें इसका पता कैसा चलता था, इसके बारे में पहले जानकारी नहीं थी.नए शोध के नतीजे
शोध दल ने ये भी पाया कि आस्ट्रेलियाई मूल का रेडबैक मकड़े को भी ऐसी ही स्थितियों का सामना करना पड़ता है. इनकी मादा मकड़ी इनसे मेल जोल तो सहज रहती है लेकिन यौन संबंध बनाने के दौरान उनका शिकार कर लेती है.
लेकिन नर रैडबैक मकड़े सेक्स संबंध बनाने की चाह में भूखी मादा मकड़ियों से भी यौन संबंध बनाते हैं और उसकी कीमत जान देकर चुकाते हैं. हालांकि इस संसर्ग से मादा मकड़ी गर्भ धारण कर लेती है.बारुफालडी ने बताया, "जिन प्रजातियों में यौन संबंध से पहले ही मादा नर साथी का शिकार कर लेती है, वहां नर तो मादा की त्वचा से निकलने वाली सुगंध से बच जाते हैं. लेकिन जिस प्रजाति में यौन संबंध बनाने के दौरान मादा नर साथी को खा लेती है, उसके लिए ये सूचना अहमियत नहीं रखती."