आगरा की जिन गलियों में गुजरा पाक राष्ट्रपति का बचपन
"ममनून साहब सात आठ साल की उम्र में ही अपने माता पिता के साथ पाकिस्तान चले गए थे. उनकी हवेली इस जगह पर थी."ये कहना है कि आगरा के हाजी नाज़िमुद्दीन कुरैशी के जो पाकिस्तान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के रिश्तेदार हैं.आगरा में नाई मंडी मुहल्ले की संकरी गली में हवेली की जगह एक घर बना हुआ है और इसके एक हिस्से पर बेकरी है.शुभम सोनेजा इस बेकरी के मालिक हैं. उनका परिवार विभाजन के समय पाकिस्तान के सिंध से भारत आया था.शुभम कहते हैं, “जब मैंने सुना कि ममनून साहब राष्ट्रपति बन गए हैं तो विश्वास नहीं हुआ. वो आदमी जो इस स्थान पर पैदा हुआ और जिसका बचपन यहां गुज़रा, वो राष्ट्रपति बन गया है. बहुत खुशी हो रही है.”
इससे कुछ ही दूरी पर अहमदिया हनफिया कॉलेज है. यहां के प्रधानअध्यापक सलाहुद्दीन शाह ने बताया कि ये स्कूल 1889 में स्थापित हुआ था और इसी में ममनून के दादा उस्ताद ज़फ़र और पिता, दोनों ने शिक्षा प्राप्त की.कुछ पुराने लोग बताते हैं कि ममनून हुसैन ने भी कुछ दिन यहां पढ़ाई की.रिश्तों में बेहतरी की उम्मीदममनून हुसैन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनके पुश्तैनी मुहल्ले में लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है.
यहां रहने वाले मसरूर क़ुरैशी कहते हैं, “वो आगरा के हैं और हम आशा करते हैं कि वो ऐसी विदेश नीति लाएंगे जिससे दोनों देशों के संबंधों में सुधार हो सके.”ममनून हुसैन के बारे में उनके एक रिश्तेदार मुबारक हुसैन ने बताया कि वो 1982-83 में किसी समय आगरा आए थे.वो कहते हैं, “उनके दादा उस्ताद ज़फ़र शहर के नामी लोगों में से एक थे. वो जूतों का कारोबार करते थे और खुद अच्छे डिज़ाइनर थे.”नज़ीर अहमद आगरा के एक बड़े निर्यातक हैं. वो कहते हैं कि ममनून के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पूरे आगरा में खुशी का माहौल है.उनकी सफलता की कामना करते हुए नज़ीर अहमद कहते हैं, “अभी तक संबंधों को सुधारने के लिए भारत ही पहल करता रहा है. हमें आशा है कि वो पाकिस्तान की तरफ से सकारात्मक कदम उठाएंगे.”ममनून हुसैन बहुत ही कम उम्र में पाकिस्तान चले गए थे. ऐसे में उनके मन में उस समय की बहुत ही धुंधली तस्वीरें शेष रही हों.आगरा के लोगों को इस बात की खुशी है कि पाकिस्तान के निनिर्वाचित राष्ट्रपति का उनके शहर से रिश्ता है. वो आशा कर रहे हैं कि शायद रिस्तों की यह कड़ी दोनों देशों के संबंधों को सुधारने में मददगार साबित हो.