भारत का टेलिकॉम नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने इंटरनेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में कहा है कि इंटरनेट तक सभी की आसान पहुंच होनी चाहिए। हालांकि अमरीकी सरकार की संस्था ने इंटरनेट न्यूट्रेलिटी और फ्री इंटरनेट को बचाए रखने वाले कानून को ख़त्म करने की बात कही है।

ये एक ऐसा मुद्दा है जो भारत में हर आय वर्ग के व्यक्ति के साथ सीधे जुड़ा हुआ है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि ये सारा मुद्दा दरअसल है क्या?

नेट न्यूट्रेलिटी, फ़्री इंटरनेट, नेटवर्क इक्वेलिटी और ओपन इंटरनेट आदि बेहद जटिल और तकनीकी शब्द हैं।

फ़्री इंटरनेट के मुद्दे की जानकारी नहीं होने की वजह से कई लोग मुक्त इंटरनेट की जगह मुफ़्त इंटरनेट समझ रहे हैं।

 

आखिर क्या है इंटरनेट न्यूट्रैलिटी?

इंटरनेट यूज़र्स के लिए समान स्पीड और समान कीमत पर इंटरनेट उपलब्ध रहने का विचार ही इंटरनेट न्युट्रैलिटी यानी इंटरनेट तटस्थता है।

 

बिना सिमकार्ड और GPS के भी आपका एंड्राएड फोन हर वक्त ट्रैक करता है आपकी लोकेशन

 

बीते साल रिलायंस जियो के टेलीकॉम बाजार में उतरने के बाद से इस बाजार की दशा और दिशा में आमूल-चूल परिवर्तन आया है।

अगर उपभोक्ताओं की नज़र से देखें तो इस परिवर्तन से उन तक एक शब्द पहुंचा है और वो शब्द है--फ्री इंटरनेट।

एयरटेल से लेकर वोडाफोन जैसी तमाम कंपनियों ने अपने इंटरनेट पैक की कीमतों में भारी कमी की है। इसके साथ ही इन्हें फ्री इंटरनेट बताकर प्रचारित किया जा रहा है।

ऐसे में जब इंटरनेट से जुड़ी कानूनी बहस खड़ी होती है और फ्री इंटरनेट का मुद्दा खड़ा होता है तो इसे मुफ़्त इंटरनेट समझने की भूल की जाती है जबकि ये इंटरनेट को कंपनियों के शिकंजे से मुक्त रखने की एक पहल है।


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Posted By: Chandramohan Mishra