इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर विरोधाभास है। कुछ जगहों पर अष्टमी शनिवार को तो कुछ इसे रविवार को मना रहे। वैसे रविवार को सुबह 7:42 तक ही नवमी तिथि रहेगी उसके बाद दशमी लग जाएगी।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। नवरात्र में 9 दिनों तक देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। नवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। यह देवी का संपूर्ण रूप है। ऐसे में कहा जाता है कि सिद्धिदात्री की पूजा करने से संपूर्ण नवरात्रि का फल मिलता है। यह पूजा नवमी तिथि पर की जाती है। नवदुर्गा में मां सिद्धिदात्री का स्वरुप अंतिम और 9वां स्वरुप है. यह समस्त वरदानों और सिद्धियों को देने वाली हैं।

सूर्योदय कालीन तिथि में "महानवमी"
अश्विन शुक्ल नवमी के दिन सूर्योदय कालीन तिथि में "महानवमी" होती है।यह दो प्रकार की मानी गई है। 1.पूजा एवं उपवास हेतु।2. बलिदान हेतु।धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार पूजा एवं उपवास के लिए नवमी अष्टमी विद्या तथा जो सम्पूर्ण सांय काल को व्याप्त कर ली जाती है परंतु बलिदान हेतु नवमी दशमी विद्या ली जाती है जोकि इस बार 25 अक्टूबर 2020,रविवार को मनाई जाएगी।आश्विन शुक्ल नवमी दिनाँक 25 अक्टूबर 2020,रविवार को सूर्योदय कालीन होगी जोकि प्रातः 7:42 बजे तक ही रहेगी तदोपरान्त दशमी तिथि आरम्भ होगी जोकि अगले दिन प्रातः 9:00 बजे तक रहेगी।

नवमी पर होता है बलिदान
अतः दिनाँक 24 अक्टूबर 2020,शनिवार को महानवमी का व्रत,हवन,आयुध पूजा,महानवमी कुमारी पूजा कर सकते हैं जबकि दिनाँक 25 अक्टूबर 2020,रविवार को बलिदान हेतु महानवमी होगी।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari