Hindu New Year 2021: नव संवत्सर में राजा व मंत्री दोनों हैं मंगल, जानें कैसा रहने वाला है ये साल
पंडित राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Nav samvatsar 2078 Hindu New Year 2021: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा वर्ष प्रतिपदा कहते हैं। हिंदू धर्म में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नए वर्ष का आरम्भ माना जाता है। ब्रह्मपुराण में ऐसा प्रमाण मिलता है कि ब्रह्मा जी ने इसी तिथि को(सूर्योदय के समय) सृष्टि की रचना की थी। स्मृति कौस्तुभकार के मतानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र के विष्कुंभ योग में भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। भारत के प्रतापी महान सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के संवत्सर का यहीं से आरंभ माना जाता है। इस प्रकार न केवल पौराणिक बल्कि ऐतिहासिक से भी इस तिथि का बहुत महत्व है। इस साल नवसंवत्सर 2078 का शुभारंभ 13 अप्रैल 2021 से हो रहा है।
नव विक्रम संवत्सर 2078
13 अप्रैल 2021,मंगलवार,से नव वि.संवत्सर 2078 का 49 वां "राक्षस" संवत्सर का होगा आरम्भ-
48 वाँ संवत्सर "आनंद संवत्सर"इस बार है लुप्त-
इस संवत्सर का राजा *"मंगल" एवं मंत्री भी 'मंगल" होगा।
13 अप्रैल 2021,मंगलवार को है चैत्र प्रतिपदा--
नव विक्रम संवत्सर का असर
संवत्सर(समय) का वास:- रोहिणी का वास "तट" पर होने से संवत्सर का वास धोबी(रजक) के घर होगा।
फल:- अच्छी वर्षा का होना।धान्य,चावल,गेहूं,चने,गन्ना, हरी सब्जियों, वृक्षों एवं फलों का उत्पादन अच्छा रहेगा।लोगों में सुख ऐश्वर्य के साधन बढ़ेंगे।
संवतसर का वाहन:- संवत 2078 का राजा मंगल होने से संवत का वाहन वृषभ(बैल)" होगा।
फल:- अच्छी वर्षा का होना विशेषकर पहाड़ी इलाकों में अधिक वर्षा होना।बाढ़ आदि के कारण नुकसान होना।राजनेताओं में परस्पर द्वन्द।राज्यों में अस्थिरता एवं छत्र-भंग होना।
लोकाचार से राजा मंगल होने पर संवत का वाहन "नाव(नौका)" भी मानते हैं।
फल:- सर्वत्र सभी प्रकार की फसलों के उत्पादन में कमी।जनता में प्राकृतिक एवं राजनीतिक कारणों से भय।
विशेष:- जिस वर्ष राजा एवं मंत्री के पद एक ही ग्रह के पास हों उस वर्ष विभिन्न देशों के राजनेता निरंकुश,स्वार्थपूर्ण एवं मनमाना आचरण करेंगे। अग्निकांड,भूकंप,बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोप तथा साम्प्रदायिक हिंसा एवं जातीय उपद्रव अधिक होंगे। कहीं कहीं वर्षा की कमी होगी। हिंसक घटनाओं का अधिक होना।
नव संवत्सर पूजन,व्रत की विधि
यह व्रत चिर सौभाग्य प्राप्त करने की कामना से किया जाता है।इस व्रत के करने से वैधव्य दोष नष्ट हो जाते हैं।
इस दिन प्रातः काल नित्यकर्मों से निवृत्त होकर नवीन वस्त्र धारण कर हाथ में गंध,पुष्प,अक्षत तथा जल लेकर संकल्प करना चाहिए।स्वच्छ चौकी या वेदी पर शुद्ध वस्त्र बिछाकर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत का एक अष्टदल(आठ दालों वाला) कमल बनाकर निम्नलिखित मंत्र से ब्रह्मजी का आव्हान करे।
ॐ ब्रह्मणे नमः
इसके बाद धूप,दीप,पुष्प,नैवेध से पूजन करना चाहिए।इसी दिन नए साल के पंचांग का वर्षफल सुनना चाहिए एवं गायत्री मंत्र का जाप कर पूजन करें।
ॐ भूर्भुवःस्व: संवत्सराधिपतिमावाहयामि पूजयामि
आज से भगवती दुर्गा देवी के नवरात्र के साथ ही जगतउत्पादक ब्रह्मा जी की विशेष पूजा-आराधना का भी विशेष विधान है।
आज के दिन नए वस्त्र धारण करने, घर को सजाने,नीम के कोमल पत्ते खाने,ब्राह्मणों को भोजन कराने और प्याऊ की स्थापना कराने का विशेष विधान है।
इस दिन वायु परीक्षा से वर्ष के शुभाशुभ फल का भी ज्ञान होता है।इसके लिए एक लंबे बांस(डंडे) में नवीन वस्त्र से बनी हुई लंबी पताका को किसी ऊंची वायु की रोक से रहित शिखर या वृक्ष की चोटी से बांधकर ध्वज का पूजन करना चाहिए।
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