चांद की रोशनी में हॉकी प्रैक्टिस करने पर मिला ध्यानचंद नाम, जानें 'हॉकी के जादूगर' के बारे में 10 बातें
कानपुर। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जन्मे ध्यानचंद प्रारंभिक शिक्षा के बाद 16 साल की उम्र में पंजाब रेजिमेंट में शामिल हो गए थे। वो 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट' में एक साधारण सिपाही के रूम में भर्ती हुए थे।आपको पता है ध्यानचंद को बचपन में कुश्ती बेहद पसंद थी। उनका नाम ध्यानचंद उनके दोस्तों ने रखा था क्योंकि वो हमेशा रात के समय चांद की रोशनी में हॉकी प्रैक्टिस किया करते थे।
1936 बर्लिन ओलंपिक में भारतीय दल के ध्वजवाहक ध्यानचंद थे। जब वह परेड करते हुए हिटलर के सामने से निकले तो उन्होंने उन्हें सैल्यूट करने से मना कर दिया। तानाशाह हिटलर ध्यानचंद के हॉकी खेलने के हुनर से इतने ज्यादा इम्प्रेस हुए थे कि उन्होंने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता और आर्मी में कर्नल का पद ऑफर किया था।हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने के शक में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई थी।
ध्यानचंद को 'The Wizard' भी कहा जाता है। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करीयर में कुल 401 गोल किए थे।1956 में ध्यानचंद को पद्म भूषण से नवाजा गया था। 29 अगस्त को ध्यानचंद का जन्मदिन होता है और इसलिए इस दिन को स्पोर्ट्स डे के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है।ध्यानचंद ने हॉकी में जो कीर्तिमान बनाए हैं उन तक आज भी कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया है। बता दें कि ध्यानचंद पुरस्कार होता है जो खेल-कूद में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए दिया जाता है।B'DAY Special: जब ध्यानचंद के नंगे पैरों ने हिटलर को किया झुकने पर मजबूर