अमरीका में राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली स्पेलिंग प्रतियोगिता में एक बार फिर से भारतीय मूल के छात्रों ने जीत हासिल की है.


कैंसस राज्य की वान्या शिवशंकर और मिसूरी से आए गोकुल वेंकटचलम को मुकाबले का संयुक्त विजेता घोषित किया गया.वान्या शिवशंकर पांचवी बार इस प्रतियोगिता में उतरी थीं और ये दूसरी बार था जब वो फ़ाइनल में पहुंची थीं. उनकी बहन काव्या शिवशंकर 2009 की विजेता रह चुकी हैं. वान्या पियानो भी काफ़ी अच्छा बजाती हैं.सपने का सच होनाइनाम के तौर पर उन्हें 35 हज़ार डॉलर नगद यानि क़रीब 23 लाख रूपए मिलेंगे और कई सारे अन्य पुरस्कार भी दिए जाएंगे.स्पेलिंग बी के नाम से दुनिया भर में मशहूर इस प्रतियोगिता को लाखों लोग देखते हैं और लाखों छात्र इसमें हिस्सा लेते हैं.फ़ाइनल में पहुंचने वाले दस छात्रों में से सात भारतीय मूल के थे. पहले से ही उम्मीद की जा रही थी कि इस बार भी जीत उन्हीं में से किसी के हाथ लगेगी.
सेमीफ़ाइनल में पहुंचे 49 छात्रों में से 25 भारतीय मूल के थे.भारतीय मूल के छात्रों की इस लगातार जीत पर सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों में कुछ कड़वाहट भरे बयान भी सामने आए हैं.एक ने लिखा, ''काश किसी साल कोई अमरीकी बच्चा भी जीत सकता.''


दूसरे ने लिखा है, ''ऐसा कैसे हो रहा है कि हर साल भारतीय बच्चे अमरीकी स्पेलिंग बी में दबदबा बनाए रख रहे हैं.''एक और ने लिखा, ''स्पेलिंग बी में सिर्फ़ अमरीकी बच्चों को होना चाहिए.''कड़ी मेहनतये अलग बात है कि ये बच्चे भारतीय मूल के अमरीकी नागिरक हैं और कड़ी मेहनत की बदौलत इस मुकाम तक पहुंचते हैं.भारतीय मूल के लोगों ने अमरीका के तमाम शहरों में इसके लिए कोचिंग की भी व्यवस्था कर रखी है. इनमें से कई हैं जो निजी प्रशिक्षकों की भी मदद लेते हैं.इसका आयोजन करने वाली संस्था के निदेशक पेज किंबल ने इस तरह के बयानों पर अफ़सोस जताते हुए कहा,''ये प्रतियोगिता प्रतिभा का सच्चा स्वरूप है. हम हर बच्चे का साथ देत हैं. इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि वो कहां से आया है.''

Posted By: Satyendra Kumar Singh