कान चाहे किसी का भी हो उसमें खुजली होना आम बात है लेकिन भारत में तो खुद ही अपनी डॉक्‍टरी करने में सबको महारथ हासिल है। तभी तो माचिस की तीली से लेकर तांबे की खोदनी या फिर मॉडर्न कॉटन बड लेकर कान की खुदाई में पूरे मन से जुट जाते हैं। अब आप कहेंगे कि कान साफ करने में कौन सी डॉक्‍टरी है। तो भाभी दीदी पापा मम्‍मी सभी सुन लो एक नई धासू रिसर्च आई है। जो कहती है कि कान की सफाई खास जरूरी नहीं है और जो लोग कॉटन बड से कान साफ करते हैं उनके कानों का तो भगवान ही मालिक है।

खुद न करें कान की डॉक्टरी
कान हमारे आपके लिए कितने ही जरूरी क्यों न हों, लेकिन किसी कम्बख्त फिल्मी राइटर ने इनकी अहमियत या खूबसूरती पर कोई कविता या गीत नहीं लिखा। खैर ये उनकी नामसझी थी, बाकी नासमझी हम आप करते हैं, जब कान में जरा सी फुरफरी होते ही कुछ भी नुकीली चीज लेकर स्वच्छता अभियान में जुट जाते हैं। गांव कस्बों से लेकर शहर के बाजारों में तो लोग कनखुदने वाले से ही देशी स्टाइल में कान साफ करा लेते हैं, लेकिन बाकी लोग कॉटन बड यानि प्लास्टिक की तीली पर लगे कॉटन कैप से कान को साफ करते रहते हैं। कॉटन बड से कान साफ करने के इस तरीके को लेकर लंदन के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस ने एक रिसर्च पब्लिश की है, जिसमें बताया गया है कि कॉटन बड्स से कान साफ करने में लोगों को मजा तो बहुत आता है। कहने का मतलब यह है कि इस तरीके से लोगों के कान में तुरंत राहत मिल जाती है, लेकिन न दिखने वाला सच तो यह है कि कॉटन बड से कान का वैक्स या मैल साफ तो हो नहीं पाता, बल्कि इसके यूज से हम वैक्स को ठेल ठेलकर कान में और अंदर तक ठूंस देते हैं। ऐसा करने से वैक्स कान के पर्दे या ईयर ड्रम पर दबाव डाल सकता है और उसे नुकसान पहुंचा सकता है।

 

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कान का मैल भी है फायदेमंद
लंदन के अखबार 'द सन' में पब्लिश हुई इस रिसर्च में यह बात भी खुलकर समझाई गई है कि कान में रोज रोज झाड़ू, मेरा मतलब है उसका वैक्स बार बार साफ नहीं करना चाहिए। वजह यह है कान के वैक्स में कई तरह के एंटीबैक्टीरियल एलीमेंट होते हैं, जो आपके कान को धूल और नमी से बचाते ही हैं, साथ ही कान में इंफेक्शन होने से भी रोकते हैं। कुल मिलाकर ये रिसर्च और हम यही कहना चाहते हैं कि जो लोग कॉटन बड्स लेकर हमेशा ही कॉन में जुटे रहते हैं, उन्हें एलर्ट हो जाना चाहिए।


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Posted By: Chandramohan Mishra