धरती के 11 लाख लोगों की निशानियां लेकर सूरज तक जाएगा NASA का यह स्पेसक्राफ्ट!
धरती से सूरज तक का यह है पहला और सबसे लंबा मिशन
वाशिंगटन (आईएएनएस)। धरती पर रहने वालों को जिस सूरज से रौशनी और तमाम चीजें मिली हैं। अब वैज्ञानिक पहली बार हमारे सौरमंडल के इस तारे तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। पार्कर सोलर प्रोब नाम का नासा का यह स्पेस मिशन अब तक का सबसे लंबा और मुश्किल मिशन साबित होने वाला है। हिलियो फीजिस्ट Eugene Parker जिन्होंने पहली बार सूर्य की हवाओं काा पता लगाया था। उन्हीं के नाम पर इस प्रोब यानि स्पेसक्राफ्ट को नाम मिला है पार्कर सोलर प्रोब। धरती से सूरज तक के सबसे पहले मिशन पर यह अंतरिक्ष यान 31 जुलाई को लॉन्च होगा और लगातार 7 सालों की यात्रा करके सूरज के करीब पहुंचेगा। 24 बार सूर्य के वातावरण से होकर गुजरेगा यह स्पेस प्रोबबता दें कि नासा का यह इंसान रहित सोलर प्रोब अपने मिशन के दौरान अपने सूरज के बारे में सालों से अनसुलझे सवालों का जवाब खोजेगा। इस मिशन की प्रोजेक्ट साइंटिस्ट Nicola Fox ने बताया कि धरती से सूर्य तक का यह मिशन अब तक का सबसे मुश्किल मिशन है। इस मिशन के दौरान पार्कर सोलर प्रोब 24 बार सूरज के वातावरण में प्रवेश करेगा, ताकि वो सूरज के बारे में हर वो जानकारी सटीक ढंग से जुटा सके, जो वैज्ञानिक को आज तक किसी ने नहीं दीं।
नासा का यह स्पेसक्राफ्ट 11,37,202 इंसानों के नामों के साथ पहुंचेगा सूरज तकनासा के इस सोलर मिशन की इससे भी बड़ी खास बात यह है कि पार्कर सोलर प्रोब अपने मिशन पर न सिर्फ साइंटिफिक इक्यूपमेंट्स लेकर जाएगा। बल्कि इस प्रोब में मौजूद एक डेटा चिप इस धरती के 1.1 मिलियन यानि 11 लाख लोगों के नाम भी स्टोर करके अपने साथ सूरज पर ले जाएगा। बता दें कि ये सारे नाम दुनिया भर के तमाम लोगों ने 27 अप्रैल तक नासा को भेजे थे। इसी 18 मई को वो 11 लाख 37 हजार 202 नाम स्पेस प्रोब में लगी माइक्रोचिप में फीड कर दिए गए हैं। कोई इंसानी चीज पहली बार सूरज तक जाएगी, इसलिए इन लाखों लोगों को भी एहसास रहेगा कि उनका नाम सूरज तक पहुंचा है।नासा के मुताबिक धरती से सूरज तक का यह मिशन पहला ही नहीं बल्कि सबसे अनोखा है। इस मिशन से नासा का प्रोब धरती पर बैठे वैज्ञानिकों को सूरज के बाहरी वातावरण के बारे में हर वो जानकारी देने की कोशिश करेगा, जो धरती पर इंसानी जिंदगी के लिए जरूरी है। इस मिशन से सूरज पर लगातार होने वाले विस्फोटों, सोलर फ्लेयर और स्पेस के मौसम के बारे में नई जानकारी मिलने की उम्मीद है। इसका फायदा धरती से जाने वाले भविष्य के स्पेस मिशन और इंसानी सैटेलाइट्स को होगा।
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