वित्‍त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आरबीआई गवर्नर की शक्‍ित को कम करना पीएम मोदी को रास नहीं आया. इसके चलते उन्‍होंने जेटली की इस योजना पर पानी फेर दिया. दरअसल अरुण जेटली चाहते थे कि मार्केट में आरबीआई की बढ़ती शक्‍ित को कम किया जाए लेकिन मोदी ने फिलहाल इस योजना पर ब्रेक लगा दिया है.

क्या था अरुण जेटली का मॉस्टर प्लॉन
पीएम मोदी के सबसे करीबी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को उस वक्त जोरदार झटका लगा, जग मोदी ने उनके प्लॉन को रोकने पर मजबूर कर दिया. अरुण जेटली के नए प्लॉन के अनुसार, वह सरकारी बॉन्ड मार्केट और पब्िलक लोन को मैनेज करने की शक्ित रिजर्व बैंक से छीनना चाहते थे. लेकिन ऐसा हो न सका. सरकार से जुड़े एक सूत्र की मानें, तो गुरुवार को टॉप लेवल की बैठक हुई जिसमें जेटली को पीछे हटना पड़ा. वैसे यूरेशिया ग्रुप कन्सल्टेंसी के डायरेक्टर किलबिंदर दोसांझ के मुताबिक,  वित्त मंत्रालय आरबीआई और उसके बॉस की शक्ति में कटौती करना चहता है.  इसके साथ ही मंत्रालय इस शक्ति को अपने हाथ में रखने का प्रयास कर रहा है.

मोदी ने लिया राजन का पक्ष

अरुण जेटली और रघुराम राजन के बीच पीएम मोदी को आखिरकार हस्तक्षेप करना ही पड़ा. बीजेपी के सीनियर लोगों ने इस बात की पुष्िट करते हुए कहा कि, जेटली के प्लॉन के उलट पीएम मोदी ने राजन का पक्ष लेने में कोई कोताही नहीं बरती और वित्त मंत्री को इस योजना को रोकना ही पडा़. हालांकि इस पूरे मामले पर पीएमओ ऑफिस और वित्त मंत्री की ओर से कोई भी कमेंट सामने नहीं आया.
सरकार बनते ही राजन पर हुआ संदेह
आपको बताते चलें कि मोदी के सत्ता में आने से 1 साल पहले ही कांग्रेस सरकार ने रघुराम राजन को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया था. ऐसे में बीजेपी के सत्ता संभालते ही राजन के भविष्य को लेकर संदेह के बादल मंडराने लगे थे. लेकिन पीएम मोदी ने इन सब बातों को झूठा साबित करते हुए रिश्तों में मधुरता लाने की कोशिश की. यही नहीं पीएम मोदी कई बार सार्वजनिक तौर पर राजन की तारीफें भी कर चुके हैं. हालांकि मोदी की भारतीय जनता पार्टी के कई सीनियर सहयोगी राजन को हमेशा आड़े हाथ लेते रहे हैं.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari