बदले बदले से क्यों मोदी नज़र आते हैं!
दोनों सदनों के लिए राष्ट्रपति का अभिभाषण एक तरह से नई सरकार के इरादों को दर्शाता है. सरकार की मंशा क्या करने की है और वो किस दिशा में जाना चाहती है.
मेरा मानना है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण और गुरूवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, उसमें एक बात अंतर्निहित है कि राज्यों को साथ में लेना है.चूंकि नरेंद्र मोदी कई वर्षों तक मुख्यमंत्री भी रहे हैं, इसलिए वो राज्यों की समस्या जानते हैं. उनके दिमाग़ में एक बात बहुत साफ़ है कि जब तक राज्यों को साथ नहीं लेंगे तब तक देश का विकास सुचारू रूप से नहीं हो सकता है.दूसरी बात, आप 16 मई के बाद के उनके सभी भाषणों में देखिए कि वो लगातार ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके विरोधी उनकी जो छवि पेश कर रहे हैं या कर रहे थे, वैसे वो नहीं हैं.आरोपों का जवाब
इस देश में एक दक्षिणपंथी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिले, ये एक नई राजनीतिक परिघटना है. इसके बावजूद नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी को एक तरह से निर्देश दिया कि कोई विजय उत्सव या विजय जुलूस नहीं निकाला जाए.सुषमा स्वराज ने भी सदन में कहा कि कांग्रेस पार्टी की दस बड़ी ग़लतियों में एक उसका अहंकार थी. इस तरह मोदी बताना चाहते हैं कि हम उस अहंकार का शिकार नहीं होने जा रहे हैं.लेकिन मोदी अभी तक जो कह रहे हैं वो केवल उनकी मंशा है. उन्होंने अपनी नियत को सरकार की नीतियों में बदल दिया है. अब मोदी विपक्ष और देश की जनता के प्रति जवाबदेह हो गए हैं.पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कहा था कि प्रधानमंत्री ऐसे व्यक्ति को बनना चाहिए, जिसे मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का कुछ अनुभव रहा हो.अभी तक नरेंद्र मोदी की बातों और नीतियों से ये अनुभव दिखाई दे रहा है, लेकिन वो कितना हासिल कर पाएंगे, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.(बीबीसी संवाददाता सुशीला सिंह के साथ बातचीत पर आधारित)