क्या मोदी ख़ुद ही हैं अपने नंबर वन फ़ैन?
पिछले 13 साल से या कहें कल तक मोदी साहब का अपने आप पर कैसा नज़रिया रहा है, वो उनकी वेबसाइट नरेंद्र मोदी डॉट इन से ज़ाहिर होता है.इस वेबसाइट पर उन्होंने अपने बारे में तरह-तरह के विशेषण का इस्तेमाल किया है.मसलन, रिमार्केबल एबिलिटी (अनूठी काबिलियत), हार्ड टास्क मास्टर (सख़्ती से काम कराने वाले), स्ट्रिक्ट डिसिप्लिनेरियन (अनुशासित), अमेजिंग (ग़ज़ब), रियलिस्ट (यथार्थवादी), आइडलिस्ट (आदर्शवादी), क्लेरिटी ऑफ़ विज़न (स्पष्ट दृष्टि), एक्सीलेंट ऑर्गेनाइजेशनल एबिलिटी (शानदार संगठन क्षमता)...ऐसे कई शब्द चलते जाते हैं. ये वैसे शब्द हैं जिनका इस्तेमाल ख़ुद के लिए नहीं करना चाहिए, कोई दूसरा करे तो ठीक.
गुजरात सरकार की मुख्य सरकारी वेबसाइट गुजरात इंडिया डॉट कॉम है. ये वो वेबसाइट है जिसे विदेशी इसलिए देखते हैं कि गुजरात में निवेश करना चाहिए या नहीं. इस वेबसाइट पर मोदी ने 2012 का चुनाव जीतने के बाद कहा था कि उन्होंने इतनी चपलता से अपने ख़िलाफ़ की गई साज़िशों को कुचल डाला और उनके इस करिश्मे से दोस्त और दुश्मन दोनों चकित रह गए हैं.'चतुर राजनेता हैं मोदी'ये उन्होंने ख़ुद अपने बारे में लिखा है. जबकि राजनीति में ना तो कोई किसी का दोस्त होता है और ना ही दुश्मन. विदेशी जिस वेबसाइट पर आ रहे हों वहां ऐसी बात कहना ठीक नहीं है.
ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर जो कहा है, वो बिलकुल नयी बात है. मैं सालों से यह कहता रहा हूं कि मोदी 'साहब' का कोई फ़ैन होगा तो वो फ़ैन नंबर टू हो ही सकता है. मोदी 'साहब' के नंबर वन फ़ैन मोदी 'साहब' ख़ुद ही हैं.