नौकर के प्यार में शाही घराना छोड़ भारत आ गई राजकुमारी, परिवार झेल रहा तंगहाली
रत्नागिरी में लंबे समय तक रहेजी हां महाराष्ट्र के रत्नागिरी में गुमनामी की जिंदगी जीने वाली एक फैमिली वर्मा के आखिरी शासक थिबाव मिन से जुड़ी है। यह उनके वंशज हैं। कहते हैं कि 1885 में बर्मा के शासक थिबाव मिन की सत्ता पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद अंग्रेजों को डर हुआ कि थिबाव मिन दोबारा विद्रोह कर सत्ता पर कब्जा न कर लें। इसलिए उन्हें पूरे परिवार समेत भारत भेज दिया गया। इस दौरान थिबाव मिन महाराष्ट्र के रत्नागिरि में उनके साथ यहां पर उनकी दो रानिया और चार बेटियां भी साथ आई थी। वे यहां पर पूरे परिवार के साथ लंबे समय तक रहे।
शाही परिवार को तो तब पता चला जब फाया गी और गोपाल की बेटी के रूप में एक संतान हो गई। हालांकि शाही परिवार ने इस नए मेहमान का जोरदारी से स्वागत किया और उसका नाम टूटू रखा। गोपाल और फाया गी एक दूसरे के साथ काफी अच्छे से रह रहे थे। तभी नवंबर 1916 में राजा थिवाब की जब मौत हो गई तो उनके परिवार को वापस बर्मा बुलाया गया। अंग्रेजों को राजा का डर खत्म हो चुका था। इस दौरान 1919 में पूरा परिवार बर्मा गया। साथ में फाया गी अपनी बेटी टूटू को लेकर गई। हालांकि फाया गी का दिल वहां नहीं लगा। इसका कारण भारत में उनका प्यार गोपाल था।
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