मोहम्मद यूनुस थे पहले 'प्रधानमंत्री'!
उनमें से पहले प्रधानमंत्री थे मोहम्मद यूनुस. ये बिहार के प्रधानमंत्री थे. अब आप सोच रहे होंगे कि बिहार में प्रधानमंत्री का पद कैसे?1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट’ पारित किया था.इतिहासकार और खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक प्रोफ़ेसर डॉक्टर इम्तियाज़ अहमद बताते हैं, "एक्ट में प्रधानमंत्री का पदनाम प्रांतीय सरकार के प्रधान के लिए था, लेकिन व्यवहार में वो पद वही था जो आज मुख्यमंत्री का है."पढ़ें, विस्तार से
यूनुस ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस से की थी, लेकिन बाद में वे महात्मा गांधी की असहयोग नीति और दूसरे राजनीतिक कारणों से कांग्रेस से अलग हो गए.फिर उन्होंने 1937 के चुनाव के समय मौलाना सज्जाद के साथ मिलकर मुस्लिम इंडिपेंडेंट पार्टी बनाई.आज़ादी के बाद बने किसान मजदूर प्रजा पार्टी के गठन में भी मोहम्मद यूनुस ने अहम भूमिका निभाई थी.1952 में 13 मई को मोहम्मद यूनुस का इंतकाल हुआ.चार माह का कार्यकाल
युनूस के परिजनों और शिवानंद तिवारी जैसे राजनेताओं का मानना है कि आज़ाद भारत में, ख़ासकर सरकार के स्तर पर मोहम्मद यूनुस को वैसा सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे.जैसा कि क़ासिफ़ यूनुस कहते हैं, "आज़ादी के पहले के रिकार्ड्स में तो उनके नाम हैं, लेकिन बाद में सरकारी अभिलेखागारों से भी उनका नाम हटा दिया गया."क़ासिफ़ के मुताबिक़ यह एक ‘अपराध’ है. ऐसा इस कारण भी हुआ क्योंकि आज़ादी के बाद लंबे समय तक बिहार में ऐसी सरकारें रहीं, जिनकी विचारधारा यूनुस की राजनीतिक विचारधारा से अलग थीं.हालाँकि हाल के वर्षों में यूनुस के योगदान को सरकारी स्तर पर स्वीकार करने की शुरुआत हुई है.सम्मान
इस ओर ध्यान दिलाने पर बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदयनारयण चौधरी कहते हैं, "यूनुस के बारे में जानकारी एकत्र कर जल्द ही इस सूची को ठीक करने की दिशा में पहल की जाएगी."